CAPF कैंटीन से 1000 विदेशी सामान बाहर, अब केवल ‘मेड इन इंडिया’
नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – अब केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (KPKB) में 1000 से अधिक आयातित उत्पाद उपलब्ध नहीं होंगे। केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार कैंटीन ने कई कंपनियों के उत्पादों को भी लेने से इनकार कर दिया है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कैंटीन के तहत पूरे देश में 1,700 से अधिक केंद्रीय पुलिस कैंटीन (सीपीसी) का संचालन होता है। इसमें किराना का सामान, कपड़े, उपहार सामग्री और वाहन एवं अन्य सामानों की बिक्री होती है। सीएपीएफ की कैंटीन में सालाना करीब 2,800 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। इन कैंटीनों के जरिए सेना के करीब 10 लाख कर्मियों के परिवारों को सामानों की बिक्री की जाती है।
सात कंपनियां डी-लिस्ट : बता दें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (KPKB) की कैंटीनों में अब केवल मेड इन इंडिया सामान ही बेचे जाएंगे। इसके अलावा, फेरेरो रोशेर, रेड बुल, विक्टोरिनोक्स, सफिलो (पोलेरॉइड, कैमेरा) जैसे उत्पादों का आयात करने वाली सात कंपनियों को डी-लिस्ट कर दिया गया है। दरअसल इन कंपनियों को कुछ जरूरी जानकारी मांगी गई थी, जिसे इन्होंने तय समय तक नहीं दिया।
अब यह निर्णय : केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार में केवल श्रेणी 1 और श्रेणी 2 के अंतर्गत आने वाले सामान को रखा जाएगा, जबकि श्रेणी 3 में आने वाले सामान को 1 जून से हटा दिया जाएगा और उनकी बिक्री 1 जून से ही बंद कर दी जाएगी। जो भी कंपनियां श्रेणी 3 के अंतर्गत आती हैं उनके उत्पादों को 1 जून से ही कैंटीन में बेचने पर रोक होगी। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि केपीकेबी की कैंटीन में केवल स्वदेशी सामान ही बेचे जाएंगे। बता दें कि केंद्रीय पुलिस कैंटीन का इस्तेमाल सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स में सेवारत लगभग 10 लाख कर्मियों के लगभग 50 लाख परिवार के सदस्य करते हैं। सीएपीएफ में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी के अलावा एनएसजी भी शामिल है। वर्ष 2006 में कैंटीन के इस नेटवर्क की स्थापना हुई थी। बलों की तैनाती वाले विभिन्न स्थानों पर 119 से ज्यादा मास्टर कैंटीन और 1,625 सहायक कैंटीन हैं।