यह पेट की आग है…सर्वे में खुलासा-29 फीसदी प्रवासी मजदूर लौटे शहर, 45 फीसदी तैयारी में

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 29 फीसदी प्रवासी मजदूर अब तक शहर वापस आ चुके हैं, जबकि 45 फीसदी आने की तैयारी में हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि लोगों के सामने पेट भरने की किस कदर मजबूरी है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार से शहर छोड़ अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों के सामने वहां रोजगार का संकट खड़ा हुआ, तो फिर शहर लौटने का निर्णय लिया। ग्रामीण क्षेत्र में उनके लायक रोजगार नहीं होने से महामारी के बीच ही दोबारा शहर लौटना पड़ रहा है। गांव पहुंचे कई मजदूरों को निर्माण आदि से जुड़ा काम मिल गया है, लेकिन 80 फीसदी को उनके लायक काम नहीं मिल पा रहा है।

यहां के हैं मजदूर : झारखंड, मध्य प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और त्रिपुरा के 48 जिलों में सर्वे के दौरान यह पता चला। उनसे जो जानकारी मिली उसके अनुसार, 24 फीसदी ने कहा है कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने पर विचार कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल रोजगार की कमी होने के कारण मजदूर दोबारा पलायन को मजबूर हो रहे हैं। कई सामाजिक संस्थाओं के 11 राज्यों में 4,835 ग्रामीण परिवारों के बीच कराए सर्वेक्षण में शामिल 1,196 प्रवासी मजदूरों के परिवारों ने शहर छोड़ने का दु:ख जताया। इनमें से 74 फीसदी परिवारों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों की वजह से गांवों का रुख किया था।

योजनाओं का मिला लाभ लेकिन खाने की कमी : गांवों में 85 फीसदी को पीडीएस और 71 फीसदी को मुफ्त एलपीजी सुविधा मिली है। 38 फीसदी लोगों को पीएम किसान योजना का फायदा मिला है। बावजूद इसके 43 फीसदी परिवारों ने कहा कि उन्हें खाने की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि 55 फीसदी ने खाने का आइटम घटा दिए।

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