बड़ा फैसला…अब चीन को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार यूनिवर्सिटीज का रिव्यू करने वाली है

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – भारत सरकार चीन को एक और जोरदार झटका देने की तैयारी में है। अब नजर उन संस्थानों पर है, जिन पर भारत में चीन के प्रचार-प्रसार का शक है। ऐसे 7 कॉलेज और यूनिवर्सिटीज का रिव्यू आनेवाले हफ्तों में होनेवाला है। इसके लिए विदेश मंत्रालय और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) को पत्र लिखा जा चुका है। यह आदेश ऐसे वक्त में आया है जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत चीन को कड़ा रुख दिखा रहा है। 100 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स को भारत में बैन किया जा चुका है। इतना ही नहीं, कई ऐसे प्रॉजेक्ट्स कैंसल किए गए हैं, जिन्हें चीनी कंपनियों को दिया गया था।

जानकारी मिली है चीन ने इन संस्थानों के साथ मिलकर अपने कन्फ्यूशियस संस्थानों के लोकल चैप्टर खोल लिए हैं। कन्फ्यूशियस संस्थानों से यहां मतलब ऐसे संस्थानों से है, जिनका काम ही चीन का प्रॉपगैंडा फैलना होता है। बीते कुछ वक्त से कन्फ्यूशियस संस्थान दुनियाभर में निशाने पर हैं। कन्फ्यूशियस संस्थान सीधे तौर पर चीनी सरकार के शिक्षा मंत्रालय से फंड प्राप्त करते हैं। इनका काम चीनी भाषा और कल्चर को फैलाना होता है।

अमेरिका, ब्रिटेन ने इन पर चीनी प्रॉपेगैंडा फैलना के आरोप लगाए हैं। पिछले साल सितंबर में खबर आई थी कि ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने यहां ऐसी यूनिवर्सिटीज की जांच के आदेश दिए थे। दुनियाभर की कई यूनिवर्सिटीज ने ऐसे कई कोर्स बंद किए थे जिनका संबंध कन्फ्यूशियस संस्थान से था।

इन यूनिर्सिटीज का नाम
-यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई
-वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी
-लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत
-स्कूल ऑफ चाइनीज लैंग्वेज, कोलकाता
-भारथिअर विश्वविद्यालय, कोयंबटूर
-के आर मंगलम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम

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