चुनाव बाद महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ बढ़ेगा आपकी जेब पर, ईरान से आयात बंद होने के बाद स्तिथि हो सकती है ख़राब
ट्रेंड प्रमोशन कौंसिल ऑफ़ इंडिया के विश्लेषक आशुतोष झा का कहना है कि अभी तो भारत साल में करीब 80 अरब डॉलर का कच्चा तेल ईरान से बगैर नकदी चुकाए लेता है । इसके बाद खाद्य सामग्री और दवाइयों की आपूर्ति की जाती है । अमेरिका ने फ़ूड फॉर ऑयल नीति के तहत ही ईरान को तेल बेचने की इजाजत दी थी । मैकनिज़्म के खात्मे के बाद भारत की अन्य तेल उत्पादक देशों से आपूर्ति के लिए समझौता करना होगा और भुगतान का विकल्प भी बदल सकता है ।
इंडियन ऑयल के पूर्व अधिकारी ने बताया कि अभी आयात होने वाले मध्यम और ख़राब क्रूड की रिफाइनिंग के लिए प्रमुख रिफानरिया तय है । नए आयात पर तेल की किस्म के आधार पर रिफाइनरी तय करनी पड़ेगी। जिसकी लागत कम या ज्यादा हो सकती है ।
कई चीजों पर होगा असर
आशुतोष झा ने कहा कि किस देश से कितना तेल आयात बढ़ाया जायगा, इस पर फैसला होना बाकी है । नए आपूर्तिकर्ता का चुनाव करने से पहले कई पहलुओ को देखना होगा। जिसमे आर्थिक और राजनैतिक दोनों शामिल है । इसमें कुछ वक़्त भी लग सकता है । फैसला कुछ भी हो लेकिन ईरान के मुकाबले अन्य देशों से आने वाला तेल महंगा ही पड़ेगा।