जंग की धमकी के बाद घुटनों पर पाकिस्तान, बातचीत के लिए मांग रहा भीख !

 जबकि हाल ही में इमरान खान ने भारत से किसी भी तरह की बातचीत करने से किया था ‘इंकार’

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पुलिसनामा ऑनलाइन जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री और मंत्रियों ने कश्मीर और मोदी के नाम का राग अलापना शुरू कर दिया है. इनदिनों पाकिस्तान के हर नेता की जुबान से भारत के प्रति भड़काऊ बातें निकलती रहती हैं. नतीजतन पाक ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहद कमजोर कर दिया है. लेकिन लगता है कि द्विपक्षीय संबंधों को लेकर इमरान और उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच ही स्थिति साफ नहीं है.

विदेश मंत्री ने भारत से की अप्रत्यक्ष रूप से की बातचीत की पहल

कुरैशी का ताजा बयान आया है कि, “हमने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बात करने से कभी इंकार नहीं किया है.” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हम भारत द्वारा बनाए जा रहे माहौल में बातचीत नहीं देख सकते.

यही नहीं कुरैशी ने भारत-पाकिस्तान की बातचीत में तीसरे पक्ष के शामिल होने को तवज्जों दिया है, जबकि पाक जानता है कि भारत को तीसरे पक्ष का दखल बिलकुल बर्दाश्त नहीं है.

बता दें कि कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार हुए राजनेताओं की रिहाई के बाद बातचीत करने का सुझाव भी दिया है.

लेकिन उनके इस बयान से स्पष्ट हो रहा है कि, भारत से सब रिश्ते-नाते तोड़ने और युद्ध की धमकी देने के बाद पाकिस्तान अब वार्ता के लिए राजी दिखाई दे रहा है.

इमरान और उनके मंत्री हैं कंफ्यूज

एक तरफ इशारों-इशारों में ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री भारत से वार्ता का प्रस्ताव रख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इमरान खान ने हाल ही में बयान दिया था कि, भारत से अब किसी तरह की बात करने का कोई फायदा नहीं है. इतना ही नहीं इस दौरान इमरान ने भारत को परमाणु युद्ध की धमकी भी दे डाली थी.

कश्मीरियों को बातचीत में शामिल करने के लिए आमादा हैं इमरान

इमरान का कहना था कि अगर भारत जम्मू-कश्मीर को पूर्वरत दर्जा देना है और चर्चा में कश्मीरियों को शामिल करता है, तभी बातचीत का रास्ता खुल सकता है. लेकिन इमरान गौर करें कि जैसा वो वो चाहते  हैं, वैसा कभी नहीं हो सकता.

इसलिए जरूरी यह है कि इमरान और उनके मंत्री पहले खुद फैसला कर लें कि वे चाहते क्या हैं? जब वे खुद ही कंफ्यूज हैं तो तीसरा पक्ष क्या कर लेगा?

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