अमिताभ बच्चन ने बताया वह कैसे बिता रहे अस्पताल में समय

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मुंबई : ऑनलाइन टीम – कोविड पॉजिटिव अमिताभ बच्चन बेटे अभिषेक के साथ पांच दिन से नानावटी हॉस्पिटल में एडमिट हैं। हालांकि, इस दौरान भी बिग बी अपने फैन्स से बराबर इंटरैक्ट कर रहे हैं। वे अपने ब्लॉग और ट्विटर के जरिए लगातार अपना संदेश उन तक पहुंचा रहे हैं। अस्पताल से अमिताभ रोज फैंस और शुभचिंतकों को अपना हेल्थ अपडेट देते रहते हैं। इसी बीच वे पिता हर‍िवंश राय बच्चन की बातों को भी याद कर रहे हैं।

वे लिखते हैं- ‘जीवन की आपा धापी में कब वक्त मिला, कुछ देर कहीं पर बैठ कभी ये सोच सकूं, जो किया कहा माना, उसमें क्या बुरा भला…’. ये तो रही हर‍िवंश जी की पंक्त‍ियां। अब इनपर अपने विचार साझा करते हुए अमिताभ ने आगे लिखा- ‘अब मुझे वक्त मिला है…और अब इन क्षणों में मेरा दिमाग बीती घटनाओं, शब्दों को याद कर रहा है…विश‍िष्ट, सटीक और इन घटनाओं के घटने की स्पष्टता के साथ…और आश्चर्य होगा इसके पर‍िणाम से…कि इसे शायद अलग तरीके से किया जाना चाहिए था या ये अलग तरीके से की जा सकती थी….लेक‍िन जितना सोच सकते हो सोचो…होनी होकर ही रहती है’ |

गौरतलब है कि 12 जुलाई शन‍िवार देर रात अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर अपने कोरोना पॉजिट‍िव होने की सूचना दी थी। उनके बाद अभ‍िषेक बच्चन का भी कोविड-19 पॉजिट‍िव होने की पुष्ट‍ि हुई। इसके एक दिन बाद ऐश्वर्या राय और आराध्या भी कोरोना पॉजिट‍िव पाए गए। बच्चन पर‍िवार के ये चारों सदस्य नानावटी हॉस्प‍िटल में एडमिट हैं।

अस्पताल में रहना पड़ सकता है कुछ और दिन –
मंगलवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अस्पताल से जुड़े सूत्रों के हवाले से खबर देते हुए बताया था कि बच्चन पिता-पुत्र को कम से कम 7 दिन तक अस्पताल में ही रहना होगा। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया था कि दोनों का अगला टेस्ट 5-6 दिन बाद होगा।

10-12 दिन में ज्यादा दिखता है कोरोना का असर –
रविवार को नानावटी हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर सर्विस के हेड डॉ. अब्दुल समद अंसारी ने कहा, ‘‘जब से अमिताभ में कोविड के लक्षण दिख रहे हैं, तब से संभवतः यह पांचवां दिन है। मरीजों में कोरोना का असर 10वें या 12वें दिन ज्यादा दिखता है।’’ संभवतः इसी वजह से अमिताभ और अभिषेक को कम से कम 7 दिन अस्पताल में रखने की बात की जा रही है।

हालांकि, अंसारी ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया था कि सभी के साथ ऐसा (10वें या 12वें दिन कोरोना का ज्यादा असर) नहीं होता। कई लोगों में हल्के लक्षण ही रहते हैं।

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