कोरोना को लेकर बड़ी खबर… कॉन्व्लेसेन्ट प्लाज़्मा थेरेपी को मिली मंज़ूरी, कोविड-19 वायरस को खत्म करना होगा आसान 

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बंगलुरु.पोलिसनामा ऑनलाइन – भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 मरीज़ों के इलाज के लिए केरल सरकार की ओर से सुझाई गई कॉन्व्लेसेन्ट प्लाज़्मा थेरेपी को मंज़ूरी दे दी है। इसका मतलब यह हुआ कि वे मरीज़ जो किसी संक्रमण से उबर जाते हैं, उनके शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी ऐंटीबॉडीज़ विकसित हो जाते हैं। इन ऐंटीबॉडीज़ की मदद से कोविड-19 रोगी के रक्त में मौजूद वायरस को ख़त्म किया जा सकता है। केरल सरकार की ओर से गठित एक मेडिकल टास्क फ़ोर्स ने मौजूदा महामारी से निबटने में प्लाज़्मा थेरेपी के इस्तेमाल की सिफ़ारिश की थी। इसके तहत ठीक हो चुके रोगी के शरीर से ऐस्पेरेसिस विधि से ख़ून निकाला जाएगा, जिसमें ख़ून से प्लाज़्मा या प्लेटलेट्स जैसे अवयवों को निकालकर बाक़ी ख़ून को फिर से उसी रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है।

यह संभव होगा अब : डॉक्टरों के अनुसार, किसी मरीज़ के शरीर से ऐंटीबॉडीज़ उसके ठीक होने के 14 दिन बाद ही लिए जा सकते हैं और उस रोगी का कोविड-19 का एक बार नहीं, बल्कि दो बार टेस्ट किया जाना चाहिए।  ऐंटीबॉडीज़ केवल प्लाज़्मा में मौजूद होते हैं। डोनर के शरीर से लगभग 800 मिलीलीटर प्लाज़्मा लिया जाता है। इसमें से रोगी को लगभग 200 मिलीलीटर ख़ून चढ़ाने की ज़रूरत होती है। यानी एक डोनर के प्लाज़्मा का चार रोगियों में इस्तेमाल हो सकता है। अभी तक जो टेस्ट हुए हैं उनसे लगता है कि 48 से 72 घंटे में सुधार शुरु हो सकता है।  इस इलाज में दो से ढाई हज़ार रुपए से ज़्यादा नहीं लगेगा, क्योंकि ये इलाज सरकारी अस्पताल में उपलब्ध होगा। बता दें कि  इससे पहले सार्स, मर्स और एचवनएनवन जैसी महामारियों के इलाज में भी प्लाज़्मा थेरेपी का ही इस्तेमाल हुआ था।

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