पटना : ऑनलाइन टीम – राजस्थान और पंजाब दो राज्यों के बाद अब बिहार में भी कांग्रेस के बंटवारे की संभावना जताई जा रही है। बिहार की राजनीति में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के 5 सांसदों के अचानक बंट जाने के बाद कांग्रेस में फूट पड़ने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में अगली रणनीति कांग्रेस को विभाजित करने और एनडीए को मजबूत करने की है। इसके लिए जदयू और भाजपा दोनों अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस बीच ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जदयू के साथ कांग्रेस के कई नेता आ रहे हैं।

कांग्रेस के कई नेता जदयू नेता से बातचीत कर रहे हैं। बस नंबरों का इंतजार है। जदयू नेता पार्टी को मजबूत करने के लिए कई मिशनों पर काम कर रहे हैं। जदयू नेता ने पिछले सप्ताह कुछ नेताओं के साथ बैठक भी की थी। वर्तमान में कांग्रेस के पास विधानसभा में 19 विधायक हैं। कांग्रेस को विभाजित करने और विधायकों को पार्टी में शामिल करने के लिए कांग्रेस को 13 विधायकों (13 विधायकों की जरूरत) की जरूरत है ताकि प्रतिबंध में शामिल न हों। इस आंकड़े से मिलान करने में परेशानी हो रही है। लेकिन, 13 विधायकों के समर्थन से जदयू कांग्रेस को बड़ा झटका देने के लिए तैयार है।

इस बीच पिछले कुछ दिनों से एनडीए में हड़कंप मच गया है क्योंकि जीतन राम मांझी समन्वय समिति की बैठक की मांग को लेकर बीजेपी नेताओं पर हमला बोल रहे हैं। मांझी कह रहे हैं कि मैं नीतीश कुमार के साथ हूं। उधर, मुकेश साहनी का बयान और मांझी से मुलाकात एनडीए में ठीक नहीं लग रही है। लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन पर मांझी तेजप्रताप के घर पहुंचे थे। वहां उन्होंने लालू से फोन पर 10 मिनट तक बातचीत की। इसलिए, यदि कांग्रेस विभाजित होती है, तो एनडीए के लिए सहकारी दलों को नियंत्रित करना सुविधाजनक होगा।

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