उत्तर प्रदेश में ‘बस पॉलिटिक्स’…बात मरहम लगाने की थी, राजनीतिक आगे हो गई और मजदूर पीछे छूट गया

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लखनऊ : समाचार ऑनलाइन – कोरोना की त्रासदी से जूझते मजदूरों पर मरहम लगाने की होड़ में राजनीति आगे हो गई और मजदूर कहीं पीछे चला गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में ‘बस पॉलिटिक्स’ की।

प्रियंका का खत : 16 मई को औरैया में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ और 28 मजदूरों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी के लिए बसें चलाने की इजाजत मांगी। यहीं से बस पॉलिटिक्स की शुरुआत हुई। फिर 17 मई को प्रियंका ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा, ‘आदरणीय मुख्यमंत्रीजी, मैं आपसे निवेदन कर रही हूं, ये राजनीति का वक्त नहीं है। हमारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं। हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई-बहन बिना खाए-पिए, पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं। हमें इनकी मदद करने दीजिए। हमारी बसों को परमीशन दीजिए।

योगी की सरकार ने यह कहा : 18 मई को यूपी सरकार ने प्रियंका की मांग मान ली। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह को जवाब देते हुए लिखा, ‘प्रवासी मजदूरों के संदर्भ में आपके प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है। अविलंब एक हजार बसों की सूची और ड्राइवर-कंडक्टर का नाम सहित बाकी डिटेल उपलब्ध कराने का कष्ट करें।’ इसके जवाब में प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह ने लिखा, ‘गाजीपुर बॉर्डर गाजियाबाद से 500 बसें और नोएडा बॉर्डर से 500 बसें चलाने की इजाजत मांगी गई थी। आपने 1000 बसों की लिस्ट मांगी, जो उपलब्ध करा दी गई। देर रात 11 बजकर 40 मिनट पर आपका एक खत मिला, जिसमें लखनऊ में बसें हैंडओवर करने को कहा गया है। 1 हजार बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ समय और संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि हद दर्जे की अमानवीयता है।

‘बहन’ जी की भी इंट्री : इसी बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती की एंट्री हुई। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बीएसपी का यह कहना है कि यदि कांग्रेस पार्टी के पास वास्तव में 1,000 बसें हैं तो उन्हें लखनऊ भेजने में कतई भी देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यहां भी प्रवासी लोग भारी संख्या में अपने घर जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।’
आरोप-प्रत्यारोपों की झड़ी : खतों के सिलसिले के बीच नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर हजारों प्रवासी मजदूर इंतजार करते रहे, लेकिन एक भी बस नहीं आई। इसी बीच एक नया ट्विस्ट उस वक्त आया जब यूपी सरकार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की तरफ से सौंपी गई बसों की लिस्ट में ऑटो, बाइक और स्कूटर के नंबर भी शामिल है। सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ‘इतना ही कहा जा सकता है, राहुल और प्रियंका की फर्जीवाड़ा कांग्रेस पार्टी है। इनको श्रमिकों से कोई संवेदना नहीं है, कोई सेवाभाव नहीं है। उनके अंदर खाली एक बात है कि कैसे लाइमलाइट में रहें।

तू-तू मैं-मैं में तक : मंगलवार का दिन सियासी तू-तू मैं-मैं में गुजर गया। कांग्रेस ने दलील दी कि बसें आगरा बॉर्डर पर खड़ी हैं लेकिन जिला प्रशासन इजाजत नहीं दे रहा है। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू वहां मोर्चा संभाले थे। इस दौरान पुलिस के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की झड़प के बाद अजय कुमार लल्लू को हिरासत में ले लिया गया। यूपी पुलिस अजय कुमार लल्लू को अपने साथ टांगकर ले गई।

और मजदूर पीछे छूट गया : मजदूरों की बस और फिर चिट्ठी से निकलते हुए बात थाना-कोतवाली तक पहुंच गई। लखनऊ के आरटीओ आरपी त्रिवेदी की तरफ से हजरतगंज थाने में आईपीसी की धारा 420/467/468 के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया है। इसमें प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम है।

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