कोरोना से ठीक होने वाले दोबारा हो रहे संक्रमित, वैज्ञानिक और डॉक्टर्स हैरान-परेशान

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन  – कोरोना वायरस को लेकर तमाम तरह के दावे किये जा रहे है। कई जानकारों का कहना है कि यह हमेशा हमारे साथ रह जायेगा जैसे की एचआईवी। लेकिन, कइयों का मानना है कि वैक्सीन बनाने के बाद यह दूर हो जायेगा। इस बीच बड़ी खबर सामने आई है। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में ये समझा जाता रहा है कि एक बार बीमार होने के बाद जो लोग ठीक हो जाएंगे, उनमें इम्यूनिटी डेवलप हो जाएगी। हालांकि, कोरोना वायरस नई बीमारी है और इसको लेकर अभी पर्याप्त रिसर्च का अभाव है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम ने कोरोना वायरस फैमिली के वायरस को लेकर 10 लोगों की लंबे वक्त तक जांच की। चार अलग-अलग कोरोना वायरस को लेकर 35 सालों तक 10 लोगों पर स्टडी की गई। स्टडी में ये सामने आया है कि कोरोना वायरस फैमिली से संक्रमित होने वाले लोग संभवत: सिर्फ 6 महीने तक इम्यून रहते हैं। इसके बाद दुनियाभर की ‘इम्यूनिटी पासपोर्ट’ स्कीम पर सवाल उठ सकते हैं। कई देश ये तैयारी कर रहे हैं कि जो लोग कोरोना से ठीक हो जाएंगे उन्हें इम्यूनिटी पासपोर्ट देकर काम पर भेजा जाएगा और उन्हें सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने की जरूरत नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस फैमिली के 4 वायरस से कॉमन कोल्ड पैदा होता है। स्टडी में पता चला कि इससे लोगों के शरीर में काफी कम वक्त के लिए इम्यूनिटी पैदा होता है।

कोरोना से ठीक होने वाले दोबारा हो रहे संक्रमित –
रिसर्चर्स का कहना है कि 12 महीने के बाद देखा गया कि ठीक हो चुके लोग कोरोना फैमिली के वायरस से दोबारा संक्रमित हो गए। बता दें कि Covid-19 कोरोना वायरस फैमिली का ही नया वायरस है जो दुनियाभर में महामारी का रूप ले चुका है। ऐसे में कोरोना फैमिली के अन्य वायरस पर की गई स्टडी Covid-19 को समझने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा था कि सरकार एक करोड़ एंटीबॉडी टेस्ट किट के लिए करार की है। ये पता लगाने के लिए कि कौन संक्रमित हो चुके हैं, एंटीबॉडी टेस्ट का सीमित इस्तेमाल ही हो पाएगा।

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