पालकी समारोहों के प्रारूप पर दो दिन में फैसला

जिलाधिकारी कार्यालय में बैठक संपन्न

पुणे : पोलिसनामा ऑनलाइन – कोरोना के संक्रमण के बीच देहू और आलंदी के पालकी समारोहों का स्वरूप कैसे हो? इसका हल ढूंढने के लिहाज से मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय में एक बैठक संपन्न हुई। इसमें पुणे के जिलाधिकारी नवल किशोर राम ने कहा कि देहु आलंदी पालखी समारोह की योजना और प्रारूप पर अगले दो दिनों में निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब हो कि पिछले कई दिनों से देहू आलंदी पालखी निकलेगी या नहीं? इस पर अटकलों का बाजार गर्म है।

इस बारे में जिलाधिकारी कार्यालय में आज एक बैठक का आयोजन किया जिसमें उपजिलाधिकारी जयश्री कटारे, देहु देवस्थान के मुख्य विश्वस्त मधुकर महाराज मोरे, आलंदी देवस्थान के मुख्य विश्वस्त विकास ढगे पाटिल, विश्वस्त योगेश देसाई, अभय तिलक, विशाल मोरे, संतोष मोरे, माणिक मोरे, संजय मोरे आदि उपस्थित थे। इस बैठक में पालखी समारोह का प्रारुप, वारकरी प्रतिभागियों, सामाजिक अशांति, प्रशासनिक प्रणाली की योजना, कोरोना पृष्ठभूमि की बहुत कम संख्या और विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई्। साथ ही संस्थान प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा दिए गए सुझावों पर चर्चा की गई।

जिलाधिकारी नवलकिशोर राम ने कहा कि, श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज और संत तुकाराम महाराज की आषाढ़ी पैदल यात्रा जो वारकरी संप्रदाय की लंबी परंपरा है, का विशेष महत्व है। कोरोना संक्रमण के संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए आलंदी और देहू संस्थान के प्रमुखों ने आलंदी से पंढरपुर पालकी प्रस्थान के संबंध में बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। आलंदी से पंढरपुर तक श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज, संत तुकाराम महाराज की पालखी प्रस्थान समारोह और तालाबंदी की प्रकृति पर विचार करते हुए पालकी की रुपरेखा के बारे में निर्णय लिया जाएगा। सामाजिक गड़बड़ी, तालाबंदी की स्थिति और भविष्य में संभावित तस्वीर, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के बारे में सरकार के फैसले के अनुसार नियोजन किया जाएगा।

दिंडी समारोह की क्या प्रारुप रहेगा, क्या होनी चाहिए और सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए इसे कैसे नियोजित किया जाए्। इन तमाम बिंदूओं पर विचार विमर्श जारी है। पालखी समारोह की परंपरा खंडित न होने पाए इस बारे में आलंदी देवस्थान के ट्रस्टी विकास डांगे-पाटिल ने कहा। देहू देवस्थान के मुख्य ट्रस्टी मधुकर महाराज मोरे ने कहा, हम चाहते हैं कि आषाढ़ी वारी की परंपरा निर्बाध रूप से जारी रहे और सरकार से सभी आवश्यक सुविधाओं की आवश्यकता की पूर्ति हो। हम संत समाज का ध्यान रखेंगे और सरकार के नियमों का पालन करेंगे और इस पालखी समारोह की परंपरा को बनाए रखेंगे।