सप्ताह भर के भीतर पुनः पानी कटौती लादने का फैसला

सोमवार से सप्ताह में एक दिन की कटौती

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नियोजन के अभाव में प्रशासन पर अपना फैसला वापस लेने की नौबत

पिंपरी : समाचार ऑनलाइन नियोजन के अभाव के चलते पिंपरी चिंचवड़ मनपा प्रशासन पर अपना ही फैसला सप्ताह भर के भीतर वापस लेने की नौबत आई है। गत पांच माह से शहर में लागू रही एक दिन की पानी कटौती नौ अगस्त से रद्द की गई। मगर पानी आपूर्ति की पूरी नियोजन व्यवस्था चरमरा गई और लोगों की शिकायतें बढ़ने लगी। नतीजन फिर एक बार कटौती लागू करने का फैसला किया गया है, जिसके अनुसार सोमवार से शहर में विभागवार सप्ताह में एक दिन की पानी कटौती लागू की जा रही है।

गत साल रिटर्न ऑफ मानसून यानी वापसी की बारिश पर्याप्त नहीं हुई। उसी में भीषण गर्मी के चलते पानी का बाष्पीभवन तेजी से हुआ। नतीजन एक मार्च से शहर में पानी कटौती शुरू की गई। पहले सप्ताह में एक दिन और उसके बाद 6 मई से एक दिन छोड़कर जलापूर्ति की जाने लगी। पवना बांध क्षेत्र में लगातार मूसलाधार बारिश से बांध शतप्रतिशत भर गया औऱ बांध से नदी में पानी भी छोड़ा गया। पवना बांध से समूचे मावल तालुका और पिंपरी चिंचवड़ शहर को जलापूर्ति की जाती है। आज की तारीख में बांध में 97.73 फीसदी जलसंचय है।
बांध लबालब भरने के बाद पानी कटौती रद्द करने और रोजाना जलापूर्ति करने की मांग की जाने लगी।पहले मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर और महापौर राहुल जाधव डैम के 100 फीसदी भरने तक कटौती रद्द न करने की भूमिका में रहे। मगर डैम पूरा भरने के बाद भी रोजाना जलापूर्ति को लेकर टालमटोल की जाती रही। राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना ने आरोप लगाया कि कटौती का फ़ैसला टैंकर माफियाओं के पालन- पोषण के लिए कायम किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर सर्वदलीय नेताओं की बैठक में कटौती रद्द की गई। पवना नदी का जलपूजन करने के बाद 9 अगस्त से रोजाना जलापूर्ति की जाने लगी।
कटौती रद्द करने के बाद भी शहरवासियों को राहत नहीं मिल सकी। जलापूर्ति संबन्धी शिकायतें बढ़ने लगी। खुद सत्तादल भाजपा की नगरसेविका सुजाता पलांडे पर शोले स्टाइल आंदोलन करने की नौबत आयी। मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने इसे गंभीरता से लेकर अपने अधिकारियों को चेताया और समझाइश भी दी। मगर इसका कोई असर नहीं पड़ा और नियोजनशून्य कामकाज के चलते शहर के कई हिस्सों में पानी की किल्लत बनी रही। आखिरकार सात दिन में कटौती रद्द करने का अपना फैसला वापस लेने की नौबत प्रशासन पर आयी। सोमवार से सप्ताह में एक दिन की कटौती लागू की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि पानी की मांग बढ़ने से जलापूर्ति का नियोजन गड़बड़ा गया है।
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