बहकावे में न आएं….आपकी पॉलिसी क्या कवर करती है, यह जानने के बाद ही कराएं बीमा

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – वर्तमान माहौल में अगर आप कोरोना संकट से निपटने के लिए पॉलिसी ले रहे हैं तो ज्यादा अलर्ट रहना होगा, क्योंकि पॉलिसी लेने से पहले ये जान लीजिए कि क्या कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज कवर होता है या नहीं। बीते दिनों इंश्योरेंस रेगुलेटर ऐंड डेवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी IRDA ने बीमा कंपनियों से ऐसी पॉलिसी डिजाइन तैयार करने को कहा था, जिनमें कोरोना वायरस के इलाज का खर्च भी कवर हो। यही वजह है कि अधिकतर कंपनियों ने कोरोना स्पेशल बीमा पॉलिसी भी शुरू की है। कुछ बहकावे में भी ले रही हैं, क्योंकि प्रत्येक हेल्थ प्लान में शामिल न होने वाली चीजों की अपनी लिस्ट होती है, जो पॉलिसी दस्तावेज में दर्ज होती है। इसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए अब आपको यह तुरंत जानना चाहिए कि आपके हेल्थ प्लान में कौन से खर्च शामिल नहीं है, ताकि क्लेम खारिज होने पर आपको ऐसा न लगे कि आपके साथ धोखा हुआ है।

उदाहरण से ऐसे समझें : मान लीजिए किसी ने मार्च में ही 50 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस कवर ले लिया था। कुछ दिनों बाद उसमें कोरोना वायरस का लक्षण मिलता है और बीमा कराने वाला एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती हो जाता है। अस्पताल में 15 दिन तक तक इलाज चलता है। इन 15 दिनों के क्लेम के लिए बीमा कंपनी को फोन वह फोन करता हैं, तो पता चलता है कि कोरोना का इलाज 50 लाख के इंश्योरेंस कवर में नहीं था। वह रोग से तो उबर गया, लेकिन इस मार से उबरने में सालों लगेंगे।

ऐसी चालाकी न करें : एक आम गलतफहमी है कि अगर हमें कोई बीमारी है, तो हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त इसकी जानकारी देना नहीं चाहते। लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपना पॉलिसी आवेदन खारिज होने या प्रीमियम राशि बढ़ जाने का डर होता है। लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि जब आप कोई क्लेम करने जाएंगे और बीमा कंपनी को यह पता चलता है कि आपने कोई जानकारी छिपाई है, तो आपका क्लेम खारिज भी हो सकता है।

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