तीनों दल एकजुट होने के बाद भी, भाजपा को नहीं हरा पाए: चंद्रकांत पाटिल

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मुंबई : पश्चिम बंगाल में 100 से ज्यादा सीट पर जीत हासिल कर सरकार बनाने का भाजपा का सपना चकनाचूर हो गया। मतदाताओं ने बंगाल की सत्ता फिर से ममता बनर्जी के हाथो में दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने 215 सीट पर जीत हासिल की, वहीं भाजपा को 100 सीट भी नहीं मिल पाई। पश्चिम बंगाल के इस परिणाम को लेकर चहुंओर चर्चा शुरू है। इस परिणाम पर राज्य की महाविकास आघाडी सरकार भाजपा पर निशाना साध रही है। इस टिप्पणी पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने जवाब दिया है।

चंद्रकांत पाटिल ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम और पंढरपुर मंगलवेढा उपचुनाव परिणाम के संबंध में महाविकास आघाड़ी के कांग्रेस, राष्ट्रवादी और शिवसेना को सीधे चुनौती दी है। चंद्रकांत पाटिल ने इस संबंध में ट्वीट किया है। “महाराष्ट्र में मेरी चुनौती यह है कि किसी भी चुनाव में, सभी चार दल अलग-अलग लड़ कर देखें, तब सभी को पता चलेगा कि किसको कितनी बोलने की कला है। सभी तीनों दल एकजुट होने के बाद भी पंढरपुर में हमें नहीं हरा पाए। अगर ये अलग-अलग लड़े तो भाजपा के सामने ये बच नहीं पाएंगे। ऐसा चंद्रकांत पाटिल ने ट्वीट में कहा है।

पंढरपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत

पंढरपुर विधानसभा उपचुनाव में, भाजपा के समाधान आवताडे ने महाविकास आघाडी के राष्ट्रवादी के उम्मीदवार भागीरथ भालके को 3,733 मतों से हराया। पंढरपुर विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार कमल खिला है। राष्ट्रवादी के विधायक भारत भालके के आकस्मिक निधन के बाद पंढरपुर-मंगलवेढा का उपचुनाव हुआ। राष्ट्रवादी की ओर से उनके पुत्र भगीरथ भालके को उम्मीदवारी दी गई। भाजपा ने समाधान आवताडे को उम्मीदवारी दी।

पंढरपुर विधानसभा उपचुनाव में राष्ट्रवादी के हार के ये कारण हैं

राष्ट्रवादी में चुनाव से पहले पदाधिकारी चयन पर विवाद, विट्ठल कारखाने के पिछले कई वर्षो से चल रहा आर्थिक संकट, भागीरथ भालके का जनसंपर्क, पिछले कई दिनो में महाविकास आघाडी की ओर से किसानों के काटे गए बिजली कनेक्शन, कर्जमाफी,अनुदान आदि की वजह से जीत नहीं मिली। अजित पवार, जयंत पाटिल और अन्य मंत्रियों, सांसदों और विधायकों द्वारा चुनाव प्रचार के बावजूद महाविकास आघाड़ी को इस सीट को बचाने में सफलता नहीं मिली।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे

पिछले महीने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। साथ ही रविवार को कुछ उपचुनावों के नतीजे घोषित किए गए। तमिलनाडु और पुडुचेरी को छोड़कर सरकार में कोई बदलाव नहीं हुआ है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक को द्रमुक और कांग्रेस ने हरा दिया है। वहां बीजेपी ने अन्ना द्रमुक के साथ गठबंधन किया था। द्रमुक और उसके सहयोगियों ने 148 सीटें जीती हैं, जबकि अन्ना द्रमुक और भाजपा ने मिलकर 83 सीटें जीती हैं। पुडुचेरी में भाजपा AINRC की मदद से सरकार में शामिल हो पाएगी। कुल 30 सीटों में से भाजपा और सहयोगी दलों को 13 सीटें मिली हैं। इसलिए वहां निर्दलीयों की मदद लेनी होगी।

असम में पिछले पांच वर्षों से सत्ता में रही भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। बीजेपी और सहयोगी दलों ने 127 में से 76 सीटें जीती हैं। कांग्रेस को लग रहा था कि वो असम में सत्ता में आएगी, इसके लिए स्थानीय दलों को भी साथ लिया गया। लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस और सहयोगी दलों के केवल 48 उम्मीदवारों को विधानसभा भेजा है। पश्चिम बंगाल में, कम से कम 200 सीटें जीतकर सरकार बनाने की भाजपा की कोशिश को मतदाताओं ने नाकाम कर दिया, उन्होंने ममता बनर्जी को फिर से सत्ता सौंप दी, लेकिन तृणमुल कांग्रेस के 215 उम्मीदवार को जिताते हुए भाजपा को 100 सीटें भी नहीं दी।

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