मुंबई में फेल हुआ प्लाज्मा थेरेपी का पहला प्रयोग, मरीज की मौत, टूटी उम्मीद
मुंबई : पोलिसनामा ऑनलाइन – मुंबई में कोरोना संक्रमित मरीज पर प्लाज्मा थेरेपी का पहला प्रयोग किया गया। जो की सफल नहीं हुआ और कोरोना मरीज की मौत हो गयी। प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती एक कोरोना मरीज पर किया गया। दरअसल 53 वर्ष के इस मरीज का इलाज प्लाज्मा थेरेपी के जरिए किया जा रहा था, मरीज की हालत काफी नाजुक थी, उसे आईसीयू में रखा गया था, डॉक्टरों ने उस पर प्लाज्मा थेरेपी का भी इस्तेमाल किया, लेकिन बावजूद इसके मरीज को बचाया नहीं जा सका और उसकी गुरुवार सुबह मौत हो गई।
A 53-year-old male patient, the first to undergo plasma therapy in Maharashtra passed away on 29th April: Dr Ravishankar, CEO Lilavati Hospital, Mumbai #COVID19
— ANI (@ANI) May 1, 2020
मौत के बाद अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया है। बता दें कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कोविड-19 रोगी पर इस उपचार पद्धति का प्रयोग सफल होने का दावा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि जब मरीज को अस्पताल लाया गया, तो उसकी हालत पहले से ही बेहद गंभीर थी। इलाज में देरी के कारण उन्हें सांस लेने में गंभीर समस्या थी, उन्होंने एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और निमोनिया हो गया था, उन पर प्लाज्मा थेरेपी का भी इस्तेमाल किया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
जानें क्या होता है प्लाज्मा थेरेपी –
प्लाज्मा थेरेपी के तहत कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के प्लाज्मा को मरीजों से ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। थेरैपी में एटीबॉडी का इस्तेमाल होता है, जो किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में बनता है, यह एंटीबॉडी ठीक हो चुके मरीज के शरीर से निकालकर बीमार शरीर में डाल दिया जाता है। मरीज पर एंटीबॉडी का असर होने पर वायरस कमजोर होने लगता है। इसके बाद मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। बता दें कि प्लाज्मा डोनेट करने का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा और न ही कोई कमजोरी होगी।