आखिरी दिन अहम फैसले… जस्टिस अरुण मिश्रा ने भी पेश की नजीर

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अरुण मिश्रा आज सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन इस सेवानिवृति के पहले उन्होंने भी मिसाल कायम की। आखिरी कामकाजी दिवस कल यानी 1 सितंबर को जस्टिस अरुण मिश्रा ने दो अहम फैसले दिए, जिनमें एक उज्जैन महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण और दूसरा टेलिकॉम कंपनियों को अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की बकाया रकम के भुगतान की मियाद को लेकर है। जस्टिस अरुण मिश्रा के वे फैसले, जिसके लिए वे याद किए जाएंगे-

प्रशांत भूषण अवमानना केस : विभिन्न विचारधाराओं के ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रहे भारत में यह केस काफी संवेदनशील था जिसे जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने 31 अगस्त को निपटा दिया।

महाकाल मंदिर में शिवलिंग का संरक्षण : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में शिवलिंग को क्षरण से बचाव के लिए तमाम आदेश पारित किए। अदालत ने कहा है कि मंदिर के शिवलिंग पर कोई भी भक्त पंचामृत नहीं चढ़ाएगा, बल्कि वह शुद्ध दूध से पूजा करेंगे। अदालत ने मंदिर कमिटी से कहा है कि वह भक्तों के लिए शुद्ध दूध का इंतजाम करेंगे और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

टेलीकॉम कंपनियों को AGR पर बड़ी राहत : जस्टिस मिश्रा ने दूरसंचार विभाग की 20 साल की अवधि में दूरसंचार कंपनियों की तरफ से भुगतान की प्रार्थना को खारिज कर दिया और इसके बजाय 10 साल की अवधि में भुगतान की मियाद तय कर दी। टेलीकॉम कंपनियों पर 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एजीआर रेवेन्यू बकाया है।

आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को राहत : जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित ने ही संकटग्रस्त रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली की रुकी हुई परियोजनाओं को नैशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NBCC) के जिम्मे सौंप दिया।

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