उम्र बढ़ने से कमजोर हुई नजर, पिछले 30 साल में दोगुनी हुई कम देख पाने वालों की संख्या

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – भारत में 7.9 करोड़ लोगों की नजर कमजोर है। खान-पान और भागदौड़ भरी जिंदगी का ही असर है कि पिछले 30 साल में यह संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। 1990 में देश में यह संख्या 4 करोड़ थी। यह तो बात दूरदृष्टि की है, 13 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को निकट का भी दृष्टिदोष है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के 70% नेत्रहीन 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में भी नेत्रहीनता की शिकायतें बढ़ी हैं

हर 6 में से एक डायबिटिक मरीज रेटिनोपैथी (बीमारी से डैमेज रेटिना) से जूझ रहा है। चीन (11.6 करोड़) के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा (7.7 करोड़) डायबिटीज के मरीज हैं। दो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं- विजन लॉस एक्सपर्ट ग्रुप (VLEG) और इंटरनैशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (IAPB) ने यह आंकड़े जारी किए हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मामूली और गंभीर दृष्टि दोष की वजह है भारतीयों की बढ़ती जीवन प्रत्याशा। 1990 में जहां भारतीयों का औसत आयु-काल 59 साल था, वहीं 2019 में यह 70 साल हो गया है। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि दुनिया में नेत्रहीनों की सबसे ज्यादा आबादी भारत में हैं। देश में 92 लाख लोग देख नहीं सकते जबकि चीन में नेत्रहीनों की संख्या 89 लाख है।

एक्सपर्ट्स की सलाह है कि आजकल अक्सर लोगों की आंखें खराब होने की शिकायतें हैं। छोटी उम्र में ही चश्मा लग जाता है। इसलिए आंखें ठीक रखने का उपाय आजमाना जरूरी है। आंखों का कारक सूर्य होता है। सूर्य आँखों की रोशनी को बढ़ाता है। इसलिए रोज़ सुबह किरण फूटते ही 5 मिनट टकटकी लगाकर देखें, सूर्य को जल चढ़ाएं, सूर्य की वस्तुओं जैसे गुड़ , नारियल , गाजर, मूंगफली , दूध , आदि खिलाएं-पिलाएं। इससे भी विटामिन E मिलेगा और आँखें तेज़ होंगी।

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