नरभक्षक बाघ को पकड़ने के लिए बकरी की बजाय कर्मचारी को पिंजरे में बिठाया ; वन विभाग का अजीब प्रयोग

चंद्रपुर, 17 अक्टूबर – नरभक्षक बाघ और तेंदुए को बेहोश कर पकड़ा जाता है और पिंजरे में बकरी का लालच देकर बंद कर दिया जाता है। राजुरा तालुका के 10 लोगों की जान लेने वाले आर टी -1 बाघ के लिए ये उपाय काम नहीं आ रहा था। बकरी की बजाय वन विभाग ने अपने विभाग के कर्मचारी को पिंजरे में बंद करने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है।
पिंजरे में कौन कितनी देर बैठेगा इसका टाइम टेबल वन विभाग ने तैयार किया है। शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक करीब 14 घंटे कर्मचारियों को पिंजरे में बिठाया जा रहा है। राजुरा वन क्षेत्र में 11 अक्टूबर से यह प्रयोग किया जा रहा है. यह प्रयोग 18 अक्टूबर तक किया जाएगा।
यह प्रयोग 6 दिनों से किया जा रहा है। फिर भी बाघ पिंजरे में बैठे वनपाल, वनरक्षक या वन मजदुर के पास नहीं आ रहा है। राजुरा वन क्षेत्र के साथ परिसर के वन क्षेत्र में आरटी-1 में बाघ ने आतंक मचा रखा है। अब तक इस बाघ ने 10 लोगों की जान ले ली है। बाघ का बंदोबस्त करने के लिए उसे पिंजरे में बंद करने या जान से मारने की किसानों सहित राजनीतिक दबाव वन विभाग पर बढ़ गया है। बाघ पिंजरे में फंस नहीं रहा है। साथ ही वह शार्प शूटर के निशाने पर भी नहीं आ रहा है । अब वन विभाग खुद को असहाय महसूस कर रहा है । आख़िरकार वन विभाग ने बकरी के बजाय वनपाल, वनरक्षक व वन मजदुर को पिंजरे में बिठाना पड़ रहा है।
यह प्रयोग पुराण – एन आर प्रवीण
चीफ वनसंरक्षक एन आर प्रवीण का इस मामले में कहना है कि तेंदुए के कुए में गिरने या बाघ जख्मी अवस्था में है । ऐसे समय में उसे बेहोश करने के लिए किसी व्यक्ति को पिंजरे में बिठा कर पास ले जाया जाता है । इसके बाद बाघ को बेहोश करके उसे बंद करना संभव होता है। चंद्रपुर जिले ब्रह्मपुरी वन विभाग में एक एक जख्मी बाघ को लेकर जानकारी प्राप्त करने के लिए यह प्रयोग किया गया था।