उम्मीद थी कि गर्मी बढ़ने से कम होगा कोरोना का कहर, पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह कह दिया  

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नई दिल्ली.पोलिसनामा ऑनलाइन- कोरोना महामारी से हलाकान पूरी दुनिया इससे बचने के रास्ते तलाश रही है, लेकिन कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। कोई कारगर दवा नहीं होने से ऊपर वाले से रहम की भीथ मांगी जा रही है। इस वायरस से अब तक 65 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।  कई देशों में  लॉकडाउन की स्थिति है, जिससे लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। कुछ लोगों का मानना है कि गर्मी के दिनों में इस वायरस का प्रकोप खत्म हो जाएगा या कम हो जाएगा, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने इन रिसर्चों का खंडन करते हुए कहा कि गर्मी के दिनों और तापमान बढ़ने के बाद भी कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा।  WHO ने कहा कि अगर तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक भी हो जाए तो भी कोरोना वायरस से निजात नहीं मिलेगा। यह मायने नहीं रखता है कि सूर्य कितना गर्म है और मौसम कैसा है?

इस मिथक को भी किया खारिज : WHO ने उस मिथक को भी गलत बताया है, जिसमें कहा जाता है कि अगर आप कुछ मिनट तक बिना खांसे सांस रोक लेते हैं तो आप सुरक्षित हैं। इस बारे में WHO ने कहा कि 10 सेकंड तक सांस रोक लेने और इस दरम्यान खांसी नहीं होने का यह मतलब नहीं है कि आप कोरोना वायरस से सुरक्षित हैं। इसके लिए स्क्रीनिंग और लैब टेस्ट ही सबसे कारगर है।

बस यही एक उपाय : WHO का कहना है कि ऐसे कई देश हैं, जहां का तापमान अधिक है, वहां के लोग भी इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। ऐसे में इससे बचने का एक ही आसान और कारगर उपाय स्वच्छता और सोशल डिस्टैंसिंग पर ध्यान देना। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने हाथों को बार-बार धोते रहें, अपने हाथों से चेहरे, आंख, नाक और मुंह को न छुएं।
दूसरी तरफ, दुनिया की जानमाने इंस्ट्टीयूट, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी एमआईटी की एक रिसर्च ने बड़ी उम्मीद जगाई है कि जैसे ही सूरज की तपिश बढ़ेगी, कोरोना से बचने की उम्मीदें भी बढ़ेंगी।

– मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट की रिसर्च के मुताबिक मौसम अगर गर्म और नमी भरा होगा तो इससे कोरोना वायरस के फैलने की आशंका बहुत कम हो जाएगी।
– इस रिसर्च में सबसे अहम बात तापमान और मौसम में नमी को लेकर की गई है।
– रिसर्च के मुताबिक जिन शहरों में पारा 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच और नमी 4 से 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, वहां कोरोना वायरस के मामले 90 फीसदी पाए गए हैं।
– जबकि जिन देशों में पारा 18 डिग्री से ज्यादा रहा और नमी 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रही वहां पर कोरोना के सिर्फ 6 फीसदी मामले ही सामने आए।

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