महबूबा मुफ्ती को राहत नहीं, नजरबंदी तीन महीने और बढ़ी

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श्रीनगर : समाचार ऑनलाइन – जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को पिछले साल 5 अगस्त को हिरासत में लिया गया था, जब केंद्र ने तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे को निरस्त करके इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों -लद्दाख और जम्मू और कश्मीर में बांट दिया था। अब महबूबा मुफ्ती की पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत नजरबंदी को तीन महीने तक और बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा पीडीपी नेता सरताज मदनी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर की नजरबंदी को भी पीएसए के तहत तीन महीने तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सूत्र ने बताया कि पीएसए के तहत नजरबंदी को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।

महबूबा मुफ्ती की मंगलवार को नजरबंदी खत्म हो रही थी, ऐसे में कुछ घंटों पहले श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट ने पीएसए के तहत नजरबंदी का समय बढ़ाए जाने का ऑर्डर उन्हें सौंप दिया। हालांकि महबूबा मुफ्ती को बीते महीने सात अप्रैल को अस्थायी जेल से उनके घर भेज दिया गया था। इस दौरान उन पर पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसकी अवधि मंगलवार को समाप्त हो रही थी। ऐसे में एक बार फिर उनकी नजरबंदी तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है।

इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा चुका है। इन दोनों के ऊपर भी पीएसए लगाया गया था, जिसे वापस ले लिया गया गया। फारूक और उमर अब्दु्ल्ला ने महबूबा सहित नजरबंद सभी नेताओं को रिहा करने की अपील की थी।

जानें, क्या है पीएसए : जम्मू-कश्मीर में 1978 में अस्तित्व में आए जन सुरक्षा कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल के ही 6 महीने जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार इस अवधि को 2 साल तक बढ़ा सकती है। दरअसल इसमें दो प्रावधान हैं। पहला लोक व्यवस्था और दूसरा राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी को बिना मुकदमा छह महीने और दूसरे प्रावधान के तहत दो साल तक जेल में रखा जा सकता है।

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