प्राधिकरण बचाने विधायक महेश लांडगे ने लगाई सर्वदलीय नेताओं से गुहार

0
राजनीतिक चोला उतारकर पिंपरी चिंचवड़ शहर के लिए एकजुट होने की अपील जोडे बाजूला ठेवून 
संवाददाता, पिंपरी। पिंपरी चिंचवड़, जो श्रमिकों की नगरी है, में मेहनतकश, श्रमिक, गरीब नागरिकों को सस्ते और उनके हक के घर उपलब्ध कराने और शहर के विकास के उद्देश्य के लिए 1972 में पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनडीटीए) की स्थापना की गई थी। अब इस प्राधिकरण को पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) के साथ विलय करने का निर्णय लिया गया है। यह शहर के लिए अन्यायपूर्ण फैसला है। भाजपा के शहराध्यक्ष अध्यक्ष और विधायक महेश लांडगे ने शहर के सर्वदलीय नेताओं से गुहार लगाकर राजनीतिक और दलगत मतभेदों को भुलाकर विलय के विरोध में एकजुट होने की अपील की है।
इस बारे में विधायक लांडगे ने शहर के विधायक, सांसद, पूर्व विधायक, महापौर, पूर्व महापौर, उपमहापौर, पूर्व उपमहापौर, सर्वदलीय नगरसेवक, गुटनेता व सर्वदलीय नेताओं को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि, गत 48 सालों से आमजनों को घर उपलब्ध कराने के लिए प्राधिकरण प्रशासन प्रयासरत है। पीएमआरडीए में प्राधिकरण को विलीन करने से यह उद्देश्य साध्य होगा क्या? पीएमआरडीए की आर्थिक आलस को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने प्राधिकरण विलीनीकरण का निर्णय लिया है। पीएमआरडीए के कामकाज की व्याप्ति और पूरे जिले के विकास का नियोजन आदि के मद्देनजर पिंपरी चिंचवडवासियों के लिए अपेक्षीत विकास उतनी रफ्तार से नहीं हो सकता।
पीएमआरडीए में प्राधिकरण के विलय से पिंपरी चिंचवड़ शहर के टुकड़े करने की बजाय स्वायत्त संस्था के रूप में कार्यरत पिंपरी चिंचवड़ मनपा जिसकी पहचान एशिया द्वीप की सर्वाधिक अमीर मनपा के रुप में है, में प्राधिकरण के विलय करना चाहिए। मनपा सीमा के भीतर प्राधिकरण के सभी भूखंडों और अन्य संपत्तियों को विकसित करने में मनपा सक्षम है। साथ ही मनपा सीमा के भीतर विकासात्मक निकाय का विलय करते समय स्थानीय निकाय को प्राथमिकता देने की अपेक्षा थी। यदि मनपा का दायरा और बढ़ता है, तो स्थानीय विकास परियोजनाएं अधिक कुशल होंगी। इसलिए प्राधिकरण का मनपा में विलय करना उचित होगा। शहर के स्थानीय ग्रामीणों ने पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण के लिए अपनी जमीन दी है। उन्हें उनकी जमीन का 12.5 फीसदी रिफंड का मिलना अभी बाकी है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्राधिकरण के विलय का प्रस्ताव रखा था। उस वक्त सभी पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने हमारा विरोध किया था, यह भी विधायक लांडगे ने याद दिलाया।
विधायक लांडगे ने यह भी कहा कि अब पिंपरी-चिंचवडकर के रूप में हमें राजनीतिक मतभेदों को भूलकर शक्ति के साथ इस विलय का विरोध करना चाहिए। वर्तमान में पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण के पास करीब 1,200 करोड़ रुपये जमा हैं। करोड़ों रुपये के खाली प्लॉट हैं। इसकी स्थापना और वृद्धि केवल इसलिए हुई क्योंकि शहर के भूमिपुत्रों ने अपनी भूमि इसके लिए दी थी। अब जब प्राधिकरण का विलय हो रहा है, तो शहर की संपत्ति और जमा राशि को पीएमआरडीए में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। यह फैसला शहर के अनुकूल नहीं है।  इसलिए, हम, पिंपरी चिंचवडकर के रूप में, सकारात्मक सोचें और प्राधिकरण को विधायी तरीके से विलय करने के निर्णय का विरोध करें, यह अपील भी उन्होंने की। बहरहाल प्राधिकरण के विलय का शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के पूर्व विधायक विलास लांडे, पूर्व महापौर योगेश बहल ने समर्थन किया है। जबकि भाजपा के विधायक महेश लांडगे, लक्ष्मण जगताप ने विरोध किया है, वहीं काँग्रेस के शहराध्यक्ष सचिन साठे ने प्राधिकरण के विलय का पुनर्विचार करने की मांग की है।
You might also like
Leave a comment