नीतीश कुमार के करीबी व बिहार सरकार के मंत्री कपिलदेव कामत का निधन

October 16, 2020

पटना. ऑनलाइन टीम – कोरोना संक्रमण के कारण बिहार सरकार के मंत्री कपिलदेव कामत का निधन हो गया। गुरुवार देर रात में उन्होंने अंतिम सांस ली। करीब एक हफ्ते से पटना एम्स में भर्ती थे। पिछले कई दिनों से किडनी की बीमारी की वजह से उनकी डायलिसिस हो रही थी। हाल में सांस की तकलीफ के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर बिहार सरकार के दूसरे मंत्री की मौत हुई है। इससे पहले भाजपा नेता और मंत्री विनोद सिंह की कोरोना से मौत हो गई थी। विनोद सिंह पहले कोरोना संक्रमित हुए थे, वह कोरोना से स्वस्थ हो गए, लेकिन बाद में उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था। कपिलदेव कामत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी थे। ऐन चुनाव के पहले उनके निधन पर मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने शोक जताया है। उन्होंने इसे पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कपिलदेव कामत जमीन से जुड़े राजनेता व एक कुशल प्रशासक थे। मधुबनी जिला के बाबूबरही से विधायक रहे कामत नीतीश कैबिनेट में पंचायती राज मंत्री थे। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए ही पार्टी ने इस बार उनकी जगह बहू मीना कामत को बाबूबरही से अपना प्रत्याशी बनाया है।

ऐसा रहा राजनीतिक जीवन : अंडर मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त कपिलदेव कामत के सक्रिय राजनीतिक जीबन की शुरूआत 1980 के बाद शुरू हुई। 1980 के विधानसभा चुनाव में बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र नारायण झा के पक्ष में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। बाद में इनका संबंध विधायक महेन्द्र नारायण झा से बिगड़ता गया और ये 1985 के विधानसभा चुनाव में बाबूबरही विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतर गए। हालांकि ये वह चुनाव नहीं जीत पाए थे। विधानसभा चुनावी परिणाम घोषणा के साथ ही इन्होंने कांग्रेस विधायक गुणानन्द झा के साथ राजनीति शुरू की। बाद में इन्होंने कांग्रेस से रिश्ता तोड़कर ये पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र के जन कांग्रेस के संयोजक बन गए। ये 1990 के विधानसभा चुनाव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. देवनारायण के पक्ष में उतरे और कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र नारायण झा का जमकर विरोध किया।

चुनाव में महेन्द्र नारायण झा चुनाव हार गए। बाद में इन्होंने राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ये पंचायत समिति सदस्य चुने गए थे। तब लदनियां प्रखण्ड प्रमुख के पद को लेकर इन्होंने राजद के ही भोगेन्द्र यादव को चुनौती दी थी। प्रखंड प्रमुख पद के आमने सामने लड़ाई में तीन मतों से इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2005 की फरवरी में विधानसभा चुनाव में जदयू ने बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र से इन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था। उस चुनाव में राजद प्रत्याशी प्रो. उमाकान्त यादव से ये चुनाव हार गए थे। 2005 के नवम्बर के विधानसभा चुनाव में जदयू ने बाबूबरही विधानसभा से जदयू ने फिर कपिलदेव कामत को ही अपना प्रत्याशी बनाया। इस बार राजद प्रत्याशी प्रो. उमाकान्त यादव को हरा कर ये विधायक बने। फिर 2010 में राजद प्रत्याशी प्रो. उमाकान्त यादव से ये चुनाव हार गए। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने अपना प्रत्याशी कपिलदेव कामत को ही बनाने का निर्णय लिया और इन्होंने एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी पूर्व विधान पार्षद विनोद कुमार को 19,846 वोटों से हराया। इस बार इन्हें 60,851 मत आए हैं, जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी लोजपा प्रत्याशी बिनोद कुमार को 41,005 वोट मिले।