महाराष्ट्र : हिवरेबाजार ने प्रत्यक्ष रूप से स्कूल शुरू किया ; गांव के कोरोना मुक्त होने पर लिया गया निर्णय 

अहमदनगर, 19 जून : राज्य सरकार ने अभी तक स्कूल खोलने की  परमिशन नहीं दी है।  लेकिन हिवरेबाजार की ग्रामसभा ने निर्णय लेते हुए अपने गांव में पांचवी से दसवीं तक के क्लास में  प्रत्यक्ष रूप से पढ़ाई शुरू कर दी है।  पहली की क्लास सोमवार से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

हिवरेबाज़ार की स्कूल शुरू करने को लेकर शिक्षा विभाग से अधिकृत परमिशन  मांगी गई थी. लेकिन शिक्षा विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया।  स्कूल बंद रखने की पॉलिसी होने की वजह से अधिकारी जोखिम नहीं ले रहे है।  इसलिए हिवरेबाज़ार की ग्रामसभा ने अभिभावकों, शिक्षकों और विधार्थियों के साथ समन्वय स्थापित कर स्कूल शुरू कर दी है।  कई अभिभावकों की इच्छा थी कि स्कूल खोली जाए।  अभिभावक खुद की जिम्मेदारी पर बच्चों को स्कूल भेजने की इच्छा जाहिर किये जाने के बाद हिवरेबाज़ार के उपसरपंच व राज्य के आदर्श गांव समिति के अध्यक्ष पोपटराव पाटिल  ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने कहा कि बच्चे बीमार हो या उनके घर में कोई बीमार है तो ऐसे बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की अपील ग्रामीणों से की गई है।  पांचवी से सातवीं के क्लास में 182 जबकि आठवीं से दसवीं क्लास में 112 विधार्थियों की उपस्थिति करीब सौ फीसदी नज़र आ रही है।

दसवीं की परीक्षा  का आयोजन होगा

दसवीं की परीक्षा इस वर्ष नहीं हुई तो हिवरेबाजार के माध्यमिक स्कूल दसवीं के विधार्थियों को 11 वी में प्रवेश में दिक्कत न हो इसलिए स्कूल में 40 अंक की परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया है।  यह परीक्षा 25 जून को होगी।

शिक्षकों से गांव नहीं छोड़ने की अपील

हिवरेबाज़ार के प्राथमिक स्कूल में 7 शिक्षक है।  इनमे से 4 शिक्षक गांव में रहते है. अन्य शिक्षकों को गांव से बाहर न जाते हुए कोरोना काल में गांव में ही रहने की अपील ग्रामीण करेंगे।  इसी के तहत हर सुविधा दी जाएगी।

ऐसा है नियम

* स्कूल आने वाले हर बच्चे का हर दिन स्वास्थ्य जांच किया जाएगा।  इसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए बच्चों को बिठाया जाएगा।  सुबह 10 से 1 बजे तक क्लास चलेगी।

* स्कूल में कहने का डब्बा लाने नहीं दिया जा रहा है और मैदान में खेलने की परमिशन नहीं है।
* केवल क्लास में बैठना है और  इसके बाद  बिना कही रुके सीधे घर जान है।
मार्च 2020 से स्कूल  बंद होने की वजह से बच्चों का भारी नुकसान हुआ है।  सरकार से परमिशन नहीं होने के बावजूद हिवरेबाजार ने खुद की जोखिम पर स्कूल शुरू किया है।  किसी भी बच्चे को शारीरिक परेशानी होती है या बीमार पड़ते है तो उसका खर्च गांव उठाएगा, ऐसी गरंटी हमने अभिभावकों को दी है.

– पोपटराव पवार कार्याध्यक्ष, राज्य आदर्श गांव समिति