मोदी सरकार 2.0 : 1 साल में हासिल की ये पांच बड़ी उपलब्धियां, यहां पढ़े

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नई दिल्ली : समाचार  ऑनलाइन – देश की सत्ता पर पहली बार नरेंद्र मोदी 16 मई 2014 को काबिज हुए थे और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री की ताजपोशी हुई। इस तरह से मोदी सरकार 2.0 की पहली सालगिरह आने वाली है और केंद्र में छह साल पूरे हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने अपने छह साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है। नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों पर गौर करें तो देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ा है। 30 मई को मोदी सरकार 2.0 अपना एक साल पूरा करने जा रही है। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में कई उपलब्धियां हासिल की हैं।

1. धारा 370 समाप्‍त –
जम्‍मू-कश्‍मीर में नागरिकता और विशेष दर्जा को लेकर विवादित आर्टिकल 370 और 35ए को संविधानिक संशोधन के जरिए मोदी सरकार ने कमजोर कर दिया है। राष्ट्रवाद की दिशा में उठाए गए इस कदम का देश की जनता ने खुले दिल से स्वागत किया है। कुछ राजनीतिक दलों को अगर छोड़ दिया जाए तो सरकार के इस फैसले पर सभी दलों ने और देश की जनता ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अब केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। अब अन्‍य प्रांतों की तरह वहां पर भी लोग समान सुविधा हासिल करने के हकदार बन गए हैं। यहां तक जमीन लेकर वहां पर स्‍थायी रूप से बस भी सकते हैं।

2. तीन तलाक –
तीन तलाक को खत्म करने वाला बिल मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी एजेंडे में शामिल था, लेकिन लोकसभा से पास होने के बाद ये बिल राज्यसभा से पास नहीं हो सका और फिर लोकसभा चुनाव की वजह से इसमें देरी ही होती चली गई, लेकिन फिर से भारी बहुमत के बाद मोदी सरकार सत्ता में आई और सबसे पहला काम तीन तलाक बिल 30 जुलाई को राज्‍यसभा से भी पास होने के बाद यह कानून बन गया।

अब मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने में मदद करेगा। बिल में तीन तलाक का अपराध साबित होने पर आरोपी पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान है।

3. नागरिकता संशोधन कानून –
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नागरिकता संशोधन कानून ऐसा दूसरा बड़ा फैसला रहा, जिसकी विश्व स्तरीय कवरेज हुई। इसकी वजह रही इसका हो रहा लगातार विरोध। लेकिन, तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया। इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदियों को भारतीय नागरिकता मिल सकती है।

हालांकि तमाम विरोधों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री तक ने यह बात स्पष्ट जरूर की कि इस कानून के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी बल्कि इसे तो नागरिकता देने के लिए लाया गया है।

4. बैंकों का विलय –
मोदी सरकार ने देश में आर्थिक सुधार की दिशा में दस सरकारी बैंकों के विलय करके चार बड़े बैंक बनाने का अहम कदम भी उठाया। जिसके तहत ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया। सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने का ऐलान किया गया। इस विलय से बैंकों को बढ़ते एनपीए से काफी राहत मिली। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बैंकों के लिए 55,250 करोड़ के बेलआउट पैकेज की घोषणा भी की थी।

5. कोरोना के प्रसार से निपटने में काफी हद तक रहे सफल –
कोरोना वायरस को देश में फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने कई फैसले लिए. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों की मदद के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े दावा करते हैं कि कठिन परिस्थितियां होने के बावजूद भी मोदी सरकार देश में कोरोना के कहर को रोकने में काफी हद तक सफल रही।

भारत में कोरोना वायरस के मामले दुनिया में सबसे कम हैं। प्रति लाख जनसंख्या का वैश्विक औसत जहां 62 है वहीं भारत में यह औसत 7.9 है। यही नहीं भारत में कोरोना की वजह से होने वाली मृत्यु दर भी वैश्विक औसत 4.2 के मुकाबले 0.2 प्रति लाख व्यक्ति है। कोविड- 19 की रिकवरी दर भी सुधर कर अब 41 फीसदी तक हो चुकी है।

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