‘वनराई’के मोहन धारिया यादे सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट में हुई रोशन

October 15, 2020

पुणे : पुलीसनाम ऑनलाईन – स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देनेवाले अण्णा, एक तेजतर्रार शाही व्यक्तित्व, सात्विक अंतरंगता, समाजशास्त्र, राजनीति और पर्यावरण के तीन क्षेत्रों में जीवन का ऊंचा आलेख, इंदिरा गांधीं के सरकार में अस्वीकृत किया उपनेता का पद, गांवों में वापस जाओ यह नारा दिया, पर्यावरण संरक्षण की लौ जलाई, संत विश्वविद्यालय के लिए पहल, विदेशियों के छात्रों को आमंत्रित करके दिवाळी, रक्षाबंधन यह त्यौहार मनाना, ऐसी कई यादों को उजागर करते हुए ‘वनराई’के संस्थापक पदमविभूषण डॉ. मोहन धारिया इनको सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट की और से स्मृति दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

डॉ. मोहन धारिया के स्मृतिदिन के अवसर पर उनके सुपुत्र और ‘वनराई’के अध्यक्ष रवींद्र धारिया, सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और समूह संचालक डॉ. शैलेश कासंडे ने धारिया जी की छवि को पुष्पांजलि अर्पित कर सभा की शुरुआत की. प्रा. शेफाली जोशी ने धारियाजी के जीवनकार्य के बारे में बताया. डॉ. शैलेश कासंडे ने धारियाजी के राजकीय करकीर्दीपर प्रकाश डाला. रवींद्र धारिया ने मनोगत में वनराई प्रकल्प के चल रहा काम और सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्युट के जडनघडन में धारियांजी का योगदान और संस्था की पुरानी यादों को उजागर किया. ‘सुर्यदत्ता’ भविष्य में हॉवर्ड विश्वविद्यालय की तरह प्रसिद्ध हो, यह अण्णां का सपना था और यह पूरा होने के दिशा में है यह देखकर खुशी ज़ाहिर की.

‘सुर्यदत्ता’ द्वारा दिये जानेवाले सुर्यदत्ता राष्ट्रीय जीवनगौरव पुरस्कार से २००७ को उन्हें सन्मानित किया गया था. हर साल धारिया संस्थान में आते थे. संगठन के परिसर में किए गए वृक्षारोपण को ‘मोहनबाग’ नाम दिया गया है. ‘वनराई’के चावल की खेती के उपक्रम में संस्थान के छात्रों ने भाग लिया, ऐसा डॉ. कासंडे ने बताया.

“स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मोहन धारिया ने देश और समाज के लिए एक अमूल्य सेवा की है. उन्होंने पर्यावरण, किसान के लिए बहुत अच्छा काम किया है. वह शरीर से भले ही हम में न हो, लेकिन उनकी प्रेरणा हम में है. धर्म, राजनीति, साहित्य जैसे हर क्षेत्र के लोगों से उनका संपर्क था. उन्होंने वानराई के संपादक के रूप में भी बहुत उपयुक्त भूमिका निभाई . धारिया की जीवनी को समाजशास्त्र, राजनीति और पर्यावरण इन तीन वर्गों में विभाजित किया गया है. किसी भी एक व्यक्ति के लिए एक जीवन में तीन स्तरों पर रहना मुश्किल है. हालाँकि, केवल वे ही ऐसा करने में सक्षम थे.

डॉ. धारिया का व्यक्तिमत्त्व संत की तरह था. पर्यावरण रक्षण, ग्रामविकास के काम को उन्होंने समर्पित किया था. उन्हें असली सम्मान देना उनके काम को आगे बढ़ाने का है. वर्तमान में, ग्लोबल वार्मिंग एक ज्वलंत मुद्दा है, इसलिए पेड़ लगाना और उसका संवर्धन करना का संकल्प लिया गया. हमारे छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को सक्रिय रूप से ‘वनराई’ की सभी गतिविधियों में भाग लेंगे और धारिया के काम में योगदान देंगे,ऐसा संस्थांन के विश्वस्त सिद्धांत चोरडिया ने कहा. इस अवसर पर ‘सूर्यदत्ता’ के सभी शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित थे. कार्यक्रम में सूत्रसंचालन सुनील धनगर ने किया