मुंबई और अहमदाबाद में कोरोना री-इंफेक्शन की आशंका, इम्युनिटी को लेकर सवाल

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – देश के अनेक भागों में कोरोना संक्रमण की कम होती रफ्तार और बढ़ रही रिकवरी रेट से खुश होने वालों के लिए यह जानकारी किसी बड़े झटके से कम नहीं। दरअसल, मुंबई और अहमदाबाद में कोरोना से दोबारा संक्रमित होने की जानकारी मिली है। कोरोनावायरस के दोबारा इन्फेक्शन पर रिसर्च कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोनावायरस का पहला संक्रमण जिस स्ट्रेन से हुआ था, उसके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तैयार हो गई, लेकिन कोरोनावायरस के दूसरे स्ट्रेन की वजह से वायरस का अटैक दोबारा शरीर पर हो गया। यह वास्तव में पिछले संक्रमण की तुलना में तकनीकी रूप से अलग है। मतलब, कोरोना वायरस री-इंफेक्शन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

इस तरह का पहला केस 24 अगस्त को हांगकांग में आया था। यहां 33 साल के एक व्यक्ति ने कोरोनावायरस को मात देकर घर का रुख कर लिया था, लेकिन उसे करीब 4 महीने बाद दोबारा कोरोना संक्रमण हो गया। तब पूरी दुनिया सन्न रह गई थी। शोध दर शोध होने लगे, लेकिन कोई निष्कर्ष सामने नहीं आ पाया। भरत में भी लगातार शोध हो रहे हैं। इसी बीच, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कई अध्ययनों में भी यह सामने आया है कि एक बार संक्रमित होने वाले व्यक्ति के शरीर में आमतौर पर चार महीने तक एंटीबॉडीज मौजूद रहती है। कोई व्यक्ति 90 दिन, 100 दिन या 110 दिन बाद दोबारा संक्रमित हो सकता है, लेकिन अब सरकार ने इसकी समय सीमा 100 दिन तय कर दी है। इसके मुताबिक 100 दिन बाद दोबारा संक्रमित होने का खतरा है।

तब सबसे बड़ी समस्या इम्युनिटी को लेकर है कि यह कितने दिन तक शरीर में बनी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर के इम्यून सिस्टम पर होने वाला वायरस का हर हमला एक जैसा नहीं होता है। अगर किसी कोरोना संक्रमित मरीज के शरीर में प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी नहीं बनती है तो कोरोनावायरस के संक्रमण से मुक्त होने के बाद भी उस पर दोबारा वायरस का अटैक हो सकता है।

अभी देश में स्थिति : देशभर में कोरोना से हालात सुधर रहे हैं, लेकिन केरल, कर्नाटक और बंगाल में हालात ठीक होते नजर नहीं आ रहे। केरल में फिर देशभर में सबसे ज्यादा नए केस मिले हैं। केरल में 8,764, कर्नाटक में 8,191 और बंगाल में 3,631 नए मामले सामने आए हैं। केरल और बंगाल में संक्रमितों की संख्या तीन लाख को पार कर गई है, जबकि कर्नाटक में इनकी संख्या 7.26 लाख है।