नहीं, ….तो 50 साल बाद ‘सहरा’ की गर्मी झेलने को रहें तैयार, अभी तो 28 डिग्री के ऊपर ही छूट रहा है पसीना
नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – अगले 50 सालों में इंसानों को अपनी धरती और उसके वातावरण में इतने बदलाव देखने को मिलेंगे, जितने पिछले 6000 सालों में नहीं दिखे। दुनिया भर के देशों को प्रदूषण कम करना होगा, नहीं तो इससे होने वाले नुकसान से सबसे ज्यादा इंसान प्रभावित होगा। यह चेतावनी नहीं, वह हकीकत है, जिसका असर कोरोना से हुए लॉकडाउन में दुनिया महसूस कर रही है। कतरा-कतरा साफ होने लगा है। प्रदूषण की धुंध छंटने लगी है, पर अगर नहीं सुधरे तो अगले 50 साल में भारत में मौजूद 1.20 बिलियन यानी 120 करोड़ लोग भयानक गर्मी का सामना करेंगे। ये गर्मी वैसी होगी जैसी सहारा रेगिस्तान में पड़ती है। प्रदूषण, पेड़ों की कटाई और इसकी वजह से हो रही ग्लोबल वार्मिंग के चलते यह स्थिति आएगी। भारत, नाइजीरिया और पाकिस्तान समेत 10 देश इससे अछूते नहीं रहेंगे। इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में जब औसत 3 डिग्री सेल्सयस का इजाफा होगा, तब इंसानों के अलग-अलग देशों और वहां मौसम के अनुसार 7.5 डिग्री ज्यादा तापमान तक का सामना करना पड़ेगा।
तेजी से गर्म हो रही धरती : ब्रिटेन की एक्सटेर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टिम लेंटन ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा इंसानों को ही है। यही सबसे ज्यादा मुश्किल में आएंगे। लेंटन की रिपोर्ट के मुताबिक इंसान अब तक उन इलाकों में रहना पसंद करते हैं, जहां का औसत न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और औसत अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक जाए। इसके ऊपर या नीचे उन्हें दिक्कत होने लगती है, लेकिन अब दुनिया के कई देशों में जमीन समुद्र की तुलना में ज्यादा तेजी से गर्म हो रही है।