प्लाज्मा थेरेपी को लेकर डॉक्टर दो धड़े में बंटे, एक ने कहा-जारी रखें, दूसरे ने कहा-कारगर नहीं

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नई दिल्ली.ऑनलाइन टीम – कोरोना वायरस के मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी को पहले काफी कारगर बताया गया था। उसके कुछ दिन बाद शोधों का निष्कर्ष आया कि यह थेरेपी उतना कारगर नहीं। कई सवालिया निशान लगे, अब दिल्ली सरकार का दावा है कि प्लाज्मा थेरेपी कई लोगों की जान बचाने में फायदेमंद साबित हुई है। बता दें कि आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी को लेकर 14 राज्यों के 39 अस्पतालों में करीब 464 मरीजों पर स्टडी की थी। स्टडी में यह पाया गया था कि प्लाज्मा थेरेपी न तो कोरोना मरीजों की हालत में सुधार ला पा रही है और न ही इससे होने वाली मौतों को रोक पा रही है। इसे देखते हुए आईसीएमआर प्लाज्मा थैरेपी पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है, हालांकि दिल्ली सरकार इस फैसले का विरोध कर रही है।

गौरतलब है कि कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है। प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है।

दूसरी तरफ, हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस पर रोक लगाने के संकेत दे दिए। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ़ बलराम भार्गव ने कहा था कि इस थेरेपी को नेशनल गाइडलाइंस से हटाया जा सकता है। वहीं, एम्स के डायरेक्टर डॉ़ रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि प्लाज्मा को लेकर बड़े स्केल पर स्टडी करने की जरूरत है। आईसीएमआर के इस फैसले पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। वहीं दिल्ली के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ़ सुरेश कुमार बताते हैं कि आईसीएमआर यह फैसला ले रही है तो कुछ सोच-समझकर ही ले रही होगी, लेकिन दिल्ली में कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का काफी सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉ़ अरुण गुप्ता का कहना है कि इस थेरेपी से अभी तक किसी तरह का नुकसान नहीं देखा गया है, बल्कि मरीजों को फायदा ही मिला है। हालांकि कितना फायदा मिला है, यह कहना फिलहाल मुश्किल है। ऐसे में इस थेरेपी को जारी रखने की जरूरत है।

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