दर्दनाक ! 9 बैंकों के क्रेडिट कार्ड के जाल में फंसे परिवार ने ऐसे मौत को लगाया गले , छत से लगाई छलांग 

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नई दिल्ली : पुलिसनामा ऑनलाईन – सुख सुविधा भरी जिंदगी जीने के लिए हम न जाने क्या क्या पापड़ बेलते है  और अब तो कर्ज पर कर्ज लेने से भी नहीं चूकते है ।लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते है कि जब हम इस कर्ज को चुकाने  में असमर्थ रहे तो फिर क्या होगा। इस आखिर क्यों का जबाव आपको दिल्ली में घटी एक घटना से जरूर मिल जाएगा।

वह कर्ज के जाल में फंस चुका था 
दिल्ली में डाटा एंट्री ऑपरेटर का जॉब कर परिवार चलाने वाले शख्स ने 9 बैंकों के क्रेडिट कार्ड से तमाम तरह का खर्च किया और जब वह इसके जाल में पूरी तरह फंस गया और पैसे चुकाने में असमर्थ हो गया तो परिवार सहित चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या का प्रयास किया। इस घटना में कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मौत हो गई है जबकि उसकी पत्नी  और 5 साल की बेटी  जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
 
पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी इलाके की घटना 
मिली जानकारी के अनुसार पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी इलाके में लोन और क्रेडिट कार्ड वालों के फ़ोन से परेशान होकर पति और पत्नी ने अपनी 5 साल की बेटी के साथ चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या की कोशिश की जिसमे पति सुरेश (34 ) की मौके पर ही मौत हो गई । उधर पत्नी मंजीत कौर (31 ) और बेटी तान्या (5 ) दोनों क हालत गंभीर है ।दोनों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. जगतपुरी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया हैं ।
9 बैंकों का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करता था 
बताया जाता है कि सुरेश के पास 9 बैंकों के क्रेडिट कार्ड थे।  उसने परिवार की जरूरते पूरी करने के लिए क्रेडिट कार्ड से खरीदारी की थी।  लेकिन इसके बाद पैसे वापस मांगने के लिए आने वाले फ़ोन से वह इस कदर परेशान हो गया कि सुरेश ने खुद के साथ परिवार को खत्म करने का निर्णय ले लिया।  इसके लिए उसने पत्नी को भी तैयार कर लिया।
आधी रात को चार मंजिल से छलांग लगाई 
आधी रात को दोनों ने अपनी 5 साल की बेटी के साथ घर की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी ।   महिला के थोड़ा ठीक होने पर उसके बयान लिए गए है जिसे आधार पर पुलिस ने हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है।  पता चला है कि सुरेश पर क्रेडिट कार्ड के 8 लाख रुपए के कर्ज हो चुके थे ।
सुरेश मूल रूप से पंजाब के होशियारपुर का रहने वाला था. जगतपूरी में वह गोविंदपुर में रहता था ।   सुरेश गुडगाँव की एक कंपनी में काम करता था।
‘पैर उतनी ही पसारिये जितनी लंबी चादर हो’ 
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