पतंजलि का हठासन…. हम तो कोरोना मरीज का उपचार करेंगे, सरकार भी अड़ी-ऐसी कोई मंजूरी ही नहीं
इंदौर : समाचार ऑनलाइन – कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेदिक उपचार पद्धति के इस्तेमाल को लेकर पतंजलि और मध्यप्रदेश की सरकार आमने-सामने आ गई है। योग गुरु रामदेव का पतंजलि समूह कोरोना मरीजों पर अपनी आयुर्वेदिक उपचार पद्धति का इस्तेमाल करना चाहता है और मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि ऐसी कोई मंजूरी नहीं दी गयी है। यही नहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि इस बारे में भ्रम फैलाने की कोशिश की गयी है । इस मुद्दे को लेकर विवाद बढ़ने के बाद जिलाधिकारी मनीष सिंह ने दावा किया कि उन्होंने इंदौर में कोविड-19 के मरीजों पर पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी।
पतंजलि ने कहा-माफियाओं का हाथ : पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण ने किसी का नाम लिये बगैर कहा, “इस वैज्ञानिक प्रक्रिया के दस्तावेजीकरण के लिये हम तमाम नियम-कायदों का पालन कर रहे हैं। इंदौर में पतंजलि को लेकर बेवजह खड़े किये गये विवाद के पीछे बहुराष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों की कठपुतलियों, दवा माफिया और ऐसे तत्वों का हाथ है जो किसी भी कीमत पर आयुर्वेद को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते।”
यह है प्रयोग : अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में कोविड-19 के मरीजों पर पतंजलि की प्रस्तावित आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी सरीखी पारम्परिक जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयों के साथ ही नाक में डाले जाने वाले औषधीय तेल का उपयोग शामिल है।
विपक्ष का बवाल : उधर, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही सूबे के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले को लेकर सवाल उठाये हैं। इन लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने कोविड-19 के मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं को परखे जाने (क्लीनिकल ट्रायल) को लेकर पतंजलि समूह के प्रस्ताव को अनधिकृत रूप से हरी झंडी दिखा दी और बवाल मचने पर इसे निरस्त कर दिया।
दिग्गी राजा भी पीछे नहीं : वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी इस मसले को ट्विटर पर उठाते हुए कह चुके हैं कि “सत्ताधारियों के करीब के किसी व्यक्ति को उपकृत करने के लिये” प्रदेश सरकार को इंदौर के निवासियों के साथ “गिनी पिग” (चूहे और गिलहरी सरीखे जानवरों की एक प्रजाति जिस पर दवाओं, टीकों आदि का वैज्ञानिक परीक्षण किया जाता है) की तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए।