पुणे के युवक को झूठे मामले में फंसाने के आरोप में पुलिस पर गिरी गाज

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पटना, 27 नवंबर पुणे  के एक युवक को झूठे मामले में फंसाने के मामले में बिहार मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, पुलिस इंस्पेक्टर के साथ सभी दोषी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए है।  साथ ही युवक को पांच लाख रुपए की नुकसान भरपाई देने के निर्देश दिए गए है ।   बिहार मानवाधिकार  आयोग  के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे के सामने इस मामले की सुनवाई हुई।

मिली जानकारी के अनुसार युवक का नाम जरार है।  वह पुणे के सम्राट पुलिस स्टेशन परिसर के साइकल सोसाइटी में रहता है।  उसके खिलाफ बिहार के पश्चिमी चंपारण के साठी पुलिस स्टेशन में अक्टूबर 2018 में बलात्कार, अशांति फैलाने आदि मामलों में संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।  इसके बाद जरार को गिरफ्तार कर बिना जांच के सीधे जेल भेज दिया गया था।  यह मामला झूठा होने की बात जांच के बाद सामने आई।  इसकी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में अप्रैल 2019 में पेश की गई थी।  पुलिस की लापरवाही के कारण 26 मार्च से 17 जुलाई 2019 के बीच युवक को जेल में रहना पड़ा।  इस मामले में युवक की मां डॉ. नुसरत एजाज शेखर ने 6 नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी।
मानवाधिकार आयोग ने क्या कहा 
इस मामला में मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पुलिस ने एक युवक को झूठे मामले में फंसा कर 26 मार्च 2019 से 17 जुलाई 2019 की अवधि में गलत तरीके से जेल में रखा।  पुलिस का यह कृत्य सभ्य समाज व कल्याणकारी राज्य की दृष्टि से पूरी तरह से अस्वीकार है।  इस  तत्कालीन उपविभागीय पुलिस अधिकारी निसार अहमद ,  पुलिस इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह और पुलिसकर्मी कृष्ण कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश आयोग ने की है।
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