रेलवे में नौकरी का चोर-दरवाजा होगा बंद, नहीं होगी ‘खलासियों’ की नई नियुक्तियां

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नई दिल्ली . ऑनलाइन टीम – रेलवे में बहुत सारे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अफसर अपने बंगले पर रख लेते थे। नियमानुसार क्लास वन के रेल अधिकारियों को अपने बंगले पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रखने का अधिकार है। बंगले पर तीन साल तक कार्य करने के बाद तैनाती रेलवे कर्मचारी के रूप में हो जाती थी और एक तरह से इसे रेलवे में नौकरी पाने का चोर-दरवाजा माना जाता था। अब यह चोर-दरवाजा बंद होने जा रहा है।

एक आदेश के अनुसार, रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के आवास पर काम करने वाले खलासियों या ‘बंगला चपरासियों’ (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) की प्रथा को खत्म किया जाएगा। बोर्ड अब कोई नई नियुक्ति नहीं करेगा। औपनिवेशिक युग की प्रथा का अंत : इस आदेश के साथ ही अब रेलवे में औपनिवेशिक युग की प्रथा का समाप्त होने जा रहा है। आदेश में कहा गया है कि एक जुलाई 2020 से इस प्रकार की नियुक्तियों को दी गई मंजूरी के मामलों की समीक्षा की जा सकती है और इसकी स्थिति बोर्ड को बताई जाएगी।

आदेश में कहा गया है, ‘टीएडीके की नियुक्ति संबंधी मामला रेलवे बोर्ड में समीक्षाधीन है, इसलिए यह फैसला किया गया है कि टीएडीके के स्थानापन्न के तौर पर नए लोगों की नियुक्ति की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जानी चाहिए और न ही तत्काल नियुक्ति की जानी चाहिए।’ इसका सभी रेल प्रतिष्ठानों में सख्ती से पालन किया जाए। बोर्ड ने गुरुवार को सभी महाप्रबंधकों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

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