अच्छी खबर… और सस्ता हो सकता है लोन, रेपो रेट में फिर कटौती संभव

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – महंगाई दर अगर अनुमान से ज्यादा गिरती है तो रिजर्व बैंक को सिस्टम में लिक्विडिटी पंप करना पड़ता है। सिस्टम में लिक्विडिटी पंप होने से बैंक ज्यादा लोन बाटेंगे और लोगों के पास पैसा आएगा। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। जब कभी महंगाई दर जरूरत से नीचे चली जाती है तो रिजर्व बैंक रेपो रेट घटाता है।

रेपो दर में 0.75 फीसदी तक कटौती संभव : बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि आरबीआई रेपो दर में 0.75 फीसदी तक कटौती कर सकता है। इसमें से 6 अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25 फीसदी और 0.50 फीसदी की कटौती अक्टूबर तक होने की उम्मीद है। वहीं स्विट्जरलैंड के UBS का कहना है कि केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष के अंत तक रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है। इसका कारण दिसंबर तक महंगाई के घटकर 2.0 से 2.5 फीसदी के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।

महंगाई दर 2 से 2.5 फीसदी रह सकती है : UBS ने रिपोर्ट में कहा कि निकट भविष्य में तेजी के बावजूद हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दिसंबर में 2 से 2.5 फीसदी रह सकती है। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि आरबीआई 2020-21 में नीतिगत दर में 0.5 फीसदी की और कटौती कर सकता है जिससे रीपो दर 3.5 फीसदी पर आ जाएगी।’ UBS ने कहा कि जून में महंगाई में वृद्धि का कारण आपूर्ति संबंधी बाधाओं के साथ परिवहन लागत में बढ़ोतरी है। सरकार के पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि से परिवहन लागत महंगी हुई है।

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