10 साल पहले खारिज सिटी सेंटर योजना का पुनरुज्जीवन

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पिंपरी: पुलिसनामा ऑनलाइन – करीबन दस साल पहले विवादित साबित होने से खारिज कर दी गई सिटी सेंटर परियोजना के पुनरुज्जीवन करने की तैयारी सत्तादल भाजपा ने कर ली है। पिंपरी चिंचवड़ मनपा के तत्कालीन सत्तादल राष्ट्रवादी कांग्रेस को सिटी सेंटर योजना को लेकर भारी बदनामी झेलनी पड़ी थी। अब वर्तमान सत्तादल भाजपा ने इसे बिजनेस सेंटर का नाम देकर नए सिरे से योजना को रूप देना तय किया है। इसके लिए उसी कंपनी को सलाहकार नियुक्त करने का फैसला स्थायी समिति ने किया है जिसने तब सिटी सेंटर के लिए कंसल्टेंसी की थी।
चिंचवड स्टेशन स्थित ऑटो क्लस्टर के सामने 33.85 एकड जमीन बिजनेस सेंटर के लिए आरक्षित है। 2009 में राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व तत्कालीन ऊर्जामंत्री अजीत पवार के आदेशानुसार इस जमीन पर ‘पीपीपी’ यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप तत्व पर ‘सिटी सेंटर’ परियोजना चलाने का फैसला किया गया। मनपा के तत्कालीन आयुक्त आशिष शर्मा ने यहां की एक लाख 37 हजार वर्ग मीटर परिसर में प्रस्तावित की गई सिटी सेंटर परियोजना में ऑफिसेस, होटल, मनोरंजन केंद्र, व्यापारी गाले, बहुउद्देशीय हॉल, पार्किंग आदि सुविधाओं का समावेश किया गया। इससे शहर का नाम चमकेगा और मनपा को आमदनी भी मिलेगी, यह दावा किया गया।
सिटी सेंटर में 50 फीसदी क्षेत्र कमर्शियल तय किया गया और डेवलपर को 99 साल के लीज पर यह जमीन देना तय किया गया। 15 जनवरी 2009 को इस योजना के लिए क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सलाहकार नियुक्त किया गया। साइंस सेंटर के आरक्षित जमीन पर यह योजना प्रस्तावित किए जाने से सिटी सेंटर योजना शुरू से विवादों में घिरी रही। उसी में तत्कालीन मनपा आयुक्त आशीष शर्मा ने अपने अधिकार के बिना ही आरक्षण बदलने का फैसला किया जिससे विवाद तेज हो गया। इसकी टेंडर प्रक्रिया में तीन ही डेवलपर्स शामिल हुए। इस योजना के एक लाख 37 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र की कीमत 177 करोड़ तय की गई जिसे बाद में मनपा आयुक्त के प्रयासों से 200 करोड़ रुपए तय किया गया। मगर इसके लिए प्राप्त दर कम रहने का निष्कर्ष निकलने से यह टेंडर और योजना दोनों रद्द कर दिया गया।
तब इस परियोजना का डटकर विरोध करनेवाली भाजपा अब मनपा की सत्ता में है और राष्ट्रवादी विपक्ष में। अब सिटी सेंटर योजना को बिजनेस सेंटर का नाम देकर उसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर इस योजना के लिए ज्यादा आग्रही हैं। इस परियोजना के लिए पहले के ही क्रिसिल इंफ्रास्ट्रक्चर को सलाहकार नियुक्त करने का फैसला किया गया है। इस योजना के लिए क्रिसिल को तब 17 लाख 41 हजार बतौर फीस के दिये गए है। अब उसने इस योजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने आदि कामों के लिए 58 लाख रुपए फीस मांगी है। इसमें पहले चुकाए गये 17 लाख 41 हजार रुपए घटाकर 40 लाख 59 हजार रुपए फीस देने का फैसला भी किया गया है। इसका प्रस्ताव स्थायी समिति की सभा में ऐन मौके पर पेश किया गया था, जिसे मंजूरी दी गई।
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