मोदी सरकार के ‘इस’ फैसले से ‘कर्मचारियों को झटका’ और ‘कंपनियों को राहत’

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन  – इस व्यापक लॉकडाउन के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने कई अहम कदम उठाये है। जिसमें कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन में कटौती न करने की बात भी कही गयी थी। लेकिन, सरकार ने अब इस निर्देश को वापस ले लिए है। इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिलने का अनुमान है। हालांकि कर्मचारियों को इससे झटका लगा है।

गृह सचिव ने लॉकडाउन लगाये जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशानिर्देश में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वे प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इसे अभी तब तीन बार बढ़ाया जा चुका है। लॉकडाउन का चौथा चरण सोमवार से शुरू हुआ है। गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन के चौथे चरण को लेकर रविवार को नये दिशानिर्देश जारी किए हैं।

नए दिशानिर्देश के मुताबिक, जहां तक इस आदेश के तहत जारी परिशिष्ट में कोई दूसरा प्रावधान नहीं किया गया हो वहां आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2)(1) के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी आदेश 18 मई 2020 से अमल में नहीं माने जाएं। इधर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी न दे पाने वाली कंपनियों पर किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न करे। कर्नाटक की कंपनी फिकस पैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने सरकार के इस आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया।

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