शॉकिंग ! लीज की अवधि समाप्त होने के बाद भी नगर परिषद का कब्जा नहीं

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लोनावला : पुलिसनामा ऑनलाइन – महाराष्ट्र में मनपाओं एवं नगर परिषदों के स्वामित्व वाली जगहों का किराए पर हस्तांतरण के नियम में सरकार द्वारा कुछ बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। इस बदलाव के बाद लोनावला नगर परिषद की इन्कम में करोड़ों की वृद्धि होगी। मुख्य बाजार में लोनावला नगर परिषद के स्वामित्व वाली करीब 149 बिल्डिंग किराए से दी गई हैं। इनमें से कुछ को 1932 में तत्कालीन स्थिति के अनुसार किराए पर दिया गया था। इनके लिए निर्धारित की गई अवधि भी समाप्त हो चुकी है व कई प्रॉपर्टीज गैरकानूनी तरीके से हस्तांतरित की गई हैं व कुछ बेची जा चुकी हैं। अब जिन्हें नगर परिषद ने किराए पर जगह दी थी, उन मूल मालिकों की तलाश प्रशासन को करनी होगी। नगर परिषद द्वारा किराए से दी गई बिल्डिंग का गैरकानूनी तरीके से हस्तांतरित करते हुए उनके साढ़े तीन सौ से चार सौ तक भाग किए गए हैं। नगर परिषद को  नाममात्र का किराया देते हुए पहले के किराएदार भारी कमाई कर रहे हैं। कई साल पहले लीज की अवधि समाप्त होने पर 36 किराएदारों ने तत्कालीन मंत्रियों के माध्यम से स्टे ऑर्डर जारी करवाए।

किराया मात्र एक रुपए से लेकर अधिकतम 150 रुपए !

लोनावला में अधिकांश बिल्डिंग का गैरकानूनी तरीके से रिनोवेशन, कंस्ट्रक्शन में बदलाव व हस्तांतरण किया गया। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में ये हस्तांतरण तत्कालीन स्थिति के अनुसार रजिस्टर किए गए, मगर वे सभी निराधार हैं। नगर परिषद द्वारा किराए पर दी गईं ये बिल्डिंग बाजार भाग में प्राइम लोकेशन पर स्थित हैं। लीज की अवधि समाप्त होने के बाद नगर परिषद उन्हें अपने कब्जे में ले सके व उनका विधिवत रिनोवेशन कराया जाए तो राजस्व मेें करोड़ों की वृद्धि होगी। इस मुद्दे पर विचार जरूरी है। न्यूनतम एक रुपए से अधिकतम 150 रुपए तक किराया प्रदान करने वाली इन बिल्डिंग से करोड़ों रुपए का राजस्व संकलित किया जा सकता है, मगर नगर परिषद को मात्र कुछ हजार रुपए ही मिल रहे हैं।

ये बदलाव होंगे
सहसचिव एस।एस। गोखले द्वारा महाराष्ट्र सरकार के किरायापट्टी करार व हस्तांतरण अधिनियम 1983 में संशोधन को लेकर 12 जुलाई 2019 को जारी किए गए सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि इस विषय में आपत्तियां व सुझाव दर्ज कराने हेतु एक महीने की अवधि दी गई है। निर्धारित अवधि में प्राप्त होने वाली आपत्तियों व सुझावों पर विचार करते हुए नियम में संशोधन किया जाएगा। नए नियम किराया ब्याज सहित वसूले जाने तथा किरायापट्टी की शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैरकानूनी तरीके से हस्तांतरण पाए जाने पर जगह को कब्जे में लेकर  रिनोवेशन कराए जाने की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही किराए की दर भी रेडीरेकनर में दर्ज दर को दृष्टि में रखते हुए तय करने तथा लीज की अवधि अधिकतम दस साल निर्धारित किए जाने की भी व्यवस्था की गई है।

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