ट्रंप के इस फैसले से हजारों भारतीय छात्र को छोड़ना होगा अमेरिका, जानें क्यों

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वाशिंगटन/न्यूयॉर्क. ऑनलाइन टीम – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्र प्रभावित होंगे। आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने सोमवार को घोषणा की कि 2020 में पड़ने वाले सेमेस्टर में पूरी तरह से ऑनलाइन चलने वाले स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र पूर्ण ऑनलाइन पाठ्यक्रम का लाभ लेकर अमेरिका में नहीं रह सकते। बता दें कि ट्रम्प प्रशासन ने कोरोना वायरस की महामारी के बीच अमेरिकी आव्रजन में कई बदलाव किए हैं। उन्होंने 22 जून को आदेश जारी कर 31 दिसंबर तक विदेशी कामगारों के आने पर रोक लगा दी। इसमें एल-1, एच-1बी, एच-2बी और जे-1 वीजाधारक शामिल हैं।

नहीं मिलेगी इन्हें अनुमति : आईसीई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सितंबर से दिसंबर के सेमेस्टर का संदर्भ देते हुए कहा गया कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन छात्रों के लिए वीजा जारी नहीं करेगा, जिनके स्कूल या पाठ्यक्रम शरदऋतु के सेमेस्टर में पूरी तरह ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं और अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा इन छात्रों को अमेरिका में दाखिल होने की अनुमति भी नहीं देगी। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले ये छात्र एफ-1 वीजा पर यहां आते हैं। वहीं, अमेरिका में वोकेशनल या अन्य मान्यता प्राप्त गैर-शैक्षणिक संस्थानों में तकनीकी कार्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्र (भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम से इतर) एम -1 वीजा पर यहां आते हैं।

दूसरे नंबर पर भारत के छात्र : ‘स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम’ (एसईवीआईपी) की 2018 ‘सेविस बाई नंबर रिपोर्ट’ के अनुसार अमेरिका में 2017 में चीन के सबसे अधिक 4,78,732 छात्रों के बाद 2,51,290 भारतीय छात्र थे। वहीं, वर्ष 2017 से 2018 के बीच अमेरिका पढ़ने आए भारतीय छात्रों की संख्या में 4157 की बढ़ोतरी हुई।

यह है सलाह : आव्रजन एजेंसी ने कहा कि मौजूदा समय में सक्रिय छात्र जो अमेरिका में इन पाठ्यक्रमों में पंजीकृत है उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए या वैधता बनाए रखने या आव्रजन नियमों के तहत संभावित कार्रवाई से बचने के लिए अन्य उपाय जैसे उन स्कूलों में स्थानांतरण कराना चाहिए जहां पारंपरिक कक्षाओं में पढ़ाई हो रही है।

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