7 साल के बच्चे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का प्रयोग किया, जानें क्या है मामला

October 31, 2020

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – एक महिला की शादी 2009 में हुई थी। 2013 में वह बच्चे की मां बनीं। बाद में पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ और दोनों 2016 से अलग रहने लगे। 2017 से वह सिंगापुर में नौकरी कर रही है। पत्नी ने बेंगलूर की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की और वह पेंडिंग है। इस बीच, जुलाई 2017 में महिला ने बच्चे का पासपोर्ट मांगा और इसके लिए अर्जी दाखिल की। पति ने इसका विरोध किया। साथ ही बच्चे की कस्टडी को लेकर दोनों में कानूनी लड़ाई शुरू हुई। बेंगलूर की फैमिली कोर्ट ने 4 जनवरी 2018 को पासपोर्ट की मांग वाली महिला की अर्जी खारिज कर दी और पति की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि महिला बेंगलूर से बाहर बच्चे को न ले जाएं। तब महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां भी याचिका खारिज होने के बाद महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

चूंकि बच्चे के पिता बेंगलूर में रहते हैं और मां सिंगापुर में नौकरी करती हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि बच्चे की कस्टडी बेंगलूर में पिता के पास रहे या फिर उसे सिंगापुर में मां की कस्टडी में दिया जाए? लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग किया और अनुच्चेद-142 का इस्तेमाल करते हुए कहा कि बच्चे का हित सर्वोपरि है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बच्चे ने संकेत दिया कि वह अपनी मां के साथ सिंगापुर में रहना चाहता है लेकिन साथ ही वह अपने पिता से भी अटैच है। बच्चे की उम्र 7 साल है और बच्चे का हित सर्वोपरि है। शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे की मां को इजाजत है कि वह बच्चे को सिंगापुर ले जा सकती है, जहां वह रहती हैं।

बच्चे की मां (याचिकाकर्ता) बच्चे का वहां के स्कूल में दाखिला कराएंगी और बच्चे को ले जाने का इंतजाम करेंगी। इसके लिए बच्चे के पिता 48 घंटे के दौरान बच्चे के पासपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंपेंगे और पिता को इजाजत होगी कि वह विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शनिवार और रविवार को अपने बच्चे के एक घंटे बात कर सकेंगे और बाकी के पांच दिन पांच से 10 मिनट बात करेंगे। जब वह छुट्टी में सिंगापुर जाएंगे तो आधी छुट्टी के दौरान 10 बजे सुबह से शाम छह बजे तक बच्चे से मिल सकेंगे। बच्चे को उसकी मां साल में दो बार बेंगलूर लेकर आएंगी और इस दौरान पिता को मिलने की इजाजत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता महिला से कहा कि वह कोर्ट में अंडरटेकिंग दें कि वह कोर्ट द्वारा तय शर्त का पालन करेंगी।