फर्जी डिग्रीवाले शैक्षणिक संस्थान के निदेशक की गिरफ्तारी अटल

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पिंपरी :  पोलीसनामा ऑनलाईन – शिक्षा का मायका कहलाने वाले पुणे शहर में फर्जी डिग्री बाँटनेवाले एक शैक्षणिक संस्थान का पर्दाफाश हुआ है। मानवी हक संरक्षण व जागृति संस्था ने पिंपरी चिंचवड के कालेवाडी में नीलरत्न इंस्टीट्यूट नामक शैक्षणिक संस्थान की पोलखोल करने के बाद वाकड़ पुलिस ने संस्थान के निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी निदेशकों ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत पाने के लिए अर्जी दी थी, जिसे सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया। इससे उनकी गिरफ्तारी अटल मानी जा रही है।

कालेवाडी में नीलरत्न इंस्टीट्यूट नामक शैक्षणिक संस्थान में एडमिशन और एक्सटर्नल 
आईटीआई डिप्लोमा, फिटर, इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, डीईई, डीएमई, इंजीनियरिंग के विविध विषयों के डिग्री, डिप्लोमा व एमबीए के लिए एडमिशन दिया जाता है। इसके विज्ञापन भी कुछ अखबारों में प्रसारित किए गए। मानवी हक संरक्षण व जागृति संस्था के अध्यक्ष विकास कुचेकर, उपाध्यक्ष डॉ. आभिषेक हरीदास, निदेशक तथा शहराध्यक्ष अण्णा जोगदंड को इस संस्थान की डिग्रियों के बारे में शक हुआ। इसकी जांच पड़ताल करने पर यहां फर्जी डिग्री देने का गोरखधंधा शुरू रहने की जानकारी पता चली।

इसके बारे में मानवी हक संरक्षण व जागृति संस्था के शहराध्यक्ष अण्णा जोगदंड ने जानकारी देते हुए बताया कि, उपरोक्त शैक्षिक संस्थान के पास डिग्री और डिप्लोमा के लिए जरूरी एआईसिटीई और यूजीसी की मान्यता नहीं है। यहां पर फर्जी डिग्री देकर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। इसके चलते मानवी हक संरक्षण व जागृति संस्था की ओर से वाकड़ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। इसके अनुसार पुलिस ने नीलरत्न इंस्टीट्यूट के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज जांच – पड़ताल शुरू कर दी।

इसके साथ ही संस्था ने महाराष्ट्र तकनीकी शिक्षा विभाग के पास शिकायत की थी। विभाग द्वारा की गई जांच- पड़ताल की रिपोर्ट में नीलरत्न इंस्टीट्यूट के पास तकनीकी शिक्षा परिषद, दिल्ली की मान्यता लिए बिना अवैध रूप से पाठ्यक्रम चलाकर डिग्री बांटे जाने की बात सामने आई। इससे इंस्टीट्यूट के निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई तय होने से इंस्टीट्यूट के चालक नीलेश ठाकरे ने पुणे शिवाजीनगर न्यायालय में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए अर्जी दी थी। इसकी सुनवाई में तकनीकी शिक्षा विभाग की रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इस पर जिला सत्र न्यायाधीश सुधाकर सोनावणे 15 मई को गिरफ्तारी पूर्व जमानत खारिज कर दी।

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