सैटेलाइट और अंतरिक्ष यानों पर मंडराया खतरा, कमजोर हो रहा पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र
नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – तो क्या पृथ्वी के ध्रुव के पलटने का समय नजदीक आ रहा है, जानकार तो यही आशंका जता रहे हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि पृथ्वी पर ध्रुवीय उत्क्रमण होने वाला हो। वैज्ञानिकों के अनुसार यह घटना हमारे ग्रह के इतिहास में पहले भी हुई है। ये बदलाव हर 2,50,000 साल में होता है। हालांकि इन बदलावों से आम जनता बहुत हद तक प्रभावित नहीं होगी, लेकिन इससे विभिन्न सैटेलइट और अंतरिक्ष यानों के लिए तकनीकी परेशानियां जरूर पैदा हो रही हैं, क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है और ब्रह्माण्ड से आवेशित कण ओजोन परत को भेदकर पृथ्वी पर आ जाएंगे और ये वो ऊंचाई है, जहां सैटेलाइट परिक्रमा करते रहते हैं।
एक दशक से विसंगतियां : एक खास रिपोर्ट की मानें तो, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, पिछली दो शताब्दियों में अपनी 10% तीव्रता खो चुका है। चुंबकीय क्षेत्र के कमजोर पड़ने से उपग्रहों और अंतरिक्ष यान भी परेशानी झेल रहे हैं। इन्हें भी ग्रह की परिक्रमा करने में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। दक्षिण अटलांटिक विसंगति पिछले एक दशक से दिखाई दे रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बड़ी तेजी के साथ विकसित हुई है। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज से डॉ। जुर्गन मत्ज़का ने कहा- ‘हम बहुत भाग्यशाली हैं कि दक्षिण अटलांटिक विसंगति के विकास की जांच के लिए ऑर्बिट में स्वार्म सैटैलाइट हैं। इन परिवर्तनों के साथ पृथ्वी के कोर में होने वाली प्रक्रियाओं को समझना ही सबसे बड़ी चुनौती है।’
अध्ययन जारी है : यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक स्वार्म डेटा, इनोवेशन एंड साइंस क्लस्टर से विसंगति का अध्ययन करने के लिए ESA के स्वार्म सैटैलाइट के डेटा का उपयोग कर रहे हैं। ये स्वार्म सैटैलाइट पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बनाने वाले विभिन्न चुंबकीय संकेतों को पहचान और माप सकते हैं। पिछले पांच वर्षों में, अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिम की ओर कम तीव्रता का एक दूसरा केंद्र विकसित हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका मतलब यह हो सकता है कि विसंगति दो अलग-अलग कोशिकाओं में विभाजित हो सकती है।