नई दिल्ली, पोलिसनामा ऑनलाईन – शनि को क्रूर माना जाता है. क्योकि इसके दोष की वजह से जीवन में समस्याओ का सामना करना पड़ता है. शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है। यह तुला में उच्च का और मेष राशि में नीच का होता है. आइये जानते है कुंडली में शनि दोष कैसे बनता है और इसे दूर करने के क्या उपाय है.
जन्म कुंडली में शनि का स्थान बताता है कि उसके प्रभाव जातक के ऊपर शुभ पड़ेगा या अशुभ। कुंडली का चौथा भाव जिसे सुख का भाव कहा जाता है इस भाव में शनि का होना अच्छा नहीं होता है। यहां शनि की मौजूदगी से व्यक्ति के सुखो में ग्रहण लग जाता हैं।
शनि का राहु और मंगल के साथ होने से दुर्घटना का संयोग रहता है। ऐसी स्थिति में जातक को संभलकर वाहन चलाने के साथ यात्रा के समय भी सावधान रहना चाहिए। शनि का सूर्य के साथ ,संबंध होने की वजह से कुंडली में दोष पैदा होता है. इसके कारण पिता पुत्र के रिश्ते ख़राब होते है। शनि का वृश्चिक राशि या चन्द्रमा से संबंध कुंडली में विष योग का निर्माण करता है। इस दोष के कारण व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में असफल होता है। शनि अगर अपनी नीच राशि मेष में हो तो भी जातक को नकारातमक फल प्राप्त होता है.