अनलॉक 1.0 की जिद भारी पड़ेगी…मोदी ने विशेषज्ञों की नहीं, अपने ‘कुनबे’ की सुनी और छूट की घोषणा कर दी

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 70 दिनों के सख्त लॉकडाउन को अनलॉक करने का निर्णय लिया, लेकिन इस राहत के बीच एक और बड़ी खबर यह मिल रही है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों समते प्रधानमंत्री टॉस्कफोर्स के सदस्यों ने उन्हें लॉकडाउन में ढील के दुष्परिणामों से अवगत करा दिया था। कोई भी इस मुश्किल हालात में छूट देने के पक्ष में नहीं था। पीएम टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. वी. के. पाल, एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित स्वास्थ्य मंत्रालय कतई इस पक्ष में नहीं था कि लॉकडाउन को अनलॉक किया जाए, मगर प्रधानमंत्री मोदी ने किसी की नहीं सुनी और देश को अनलॉक करने का फैसला ले लिया। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ कुछ लोगों की ही बातें सुनी, जिनमें केंद्रीय गृमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, नितीन गडकरी, निर्मला सीतारमण और हरदीप पुरी शामिल है। इनकी बात मानकर आनलॉक 1.0 लागू कर दिया गया। पीएम टास्क फोर्स के अध्यक्ष ने आंकड़ों के हवाले से बताया था कि कोरोना संक्रमण के मामले जिस प्रकार से तेजी से बढ़ रहे हैं, उसमें और तेज विस्फोट हो सकता है और ऐसा ही देखा भी जा रहा है।

देश के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में चेताया था कि 2 महीने का लॉकडाउन जारी रखने के बाद अब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खत्म करने की कोशिश कोरोना वायरस संक्रमण के हिसाब से जानलेवा हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा भी कि कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए सरकार को नीतियां बनाने की जरूरत है। भारत सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से कोरोनावायरस के मसले पर विस्तृत चर्चा नहीं की। अगर हेल्थ एक्सपर्ट से चर्चा करने के बाद कोरोना पर नियंत्रण के कदम उठाए जाते तो इससे बेहतर नतीजे सामने आ सकते थे।

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