भारत का वह गांव जो आजादी के 24 साल तक पाकिस्तान में था, आज है भारत का हिस्सा

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – भारत पाकिस्तान के बंटवारे की सरहद के पास ऐसे बहुत से इलाके थे जिनपर दोनों देश अपना दावा कर रहे थे. ऐसे इलाके में जम्मू कश्मीर के बालिस्तान का तुरतुक गांव भी था. बंटवारे के वक़्त यह पाकिस्तान में था. 1971 की लड़ाई में जब पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा तो तुरतुक उसके हाथ से निकल कर भारत का हिस्सा बन गया.

भारत पाकिस्तान में खींचतान
भारत पाकिस्तान के बीच खींचतान का शिकार रहा तुरतुक गांव बरसो से उपेक्षा का शिकार रहा है। यह इलाका कराकोरम पहाड़ों से घिरा हुआ है। दूर-दूर तक जहां देखेंगे पहाड़ ही नज़र आएंगे। तुरतुक गांव बौद्धों के गढ़ लद्दाख में है , लेकिन यहां की ज्यादातर आबादी मुसलमानो की है। माना जाता है कि ये सभी इंडो-आर्योनो के वंशज है।

विकास नहीं हो पाया
यहां आज तक कोई तरक्की नहीं हो पाई है। सड़के इतनी संकरी है कि आपकी गाडी के बराबर से गुजर गया तो गाड़ी को नुकसान पहुंचना तय है। तुरतुक के पास श्लोक नदी बहती है। यहां के लोग जौ की खेती करते है। यहां मात्रा तीन सौ घर है। कुदरती खूबसूरती से भरा है तुरतुक।

बना भारत का हिस्सा
1971 में यह भारत का हिस्सा बन गया. अब्दुल करीम हशमत ने यहां एक गेस्ट हाउस बनाया है। वह 40 साल पहले पाकिस्तान से यहां आये थे. वह इस गांव में प्राइमरी स्कूल में गणित के उस्ताद है। बंटवारे के वक़्त औरतो और बच्चो ने तुरतुक की मस्जिद में पनाह ली थी। यहां के लोगों ने नाच गाकर भारतीय सेना का स्वागत किया और उन्हें ताज़ा खुबानियों का नजराना पेश किया।

आधा हिंदुस्तान आधा पाकिस्तान
यहां न तो किसी के पास मोबाइल है और ही सोशल मीडिया तक पहुंच है। लोग पेन ड्राइव में अपने वीडियो बनाकर एक दूसरे को भेजते है। लोग एक दूसरे के वीडियो मैसेज देखकर ही भावुक हो उठते है।

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