बूंद-बूंद को तरसेंगे देश के ये 90 शहर !

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नई दिल्ली : पुलिसनामा ऑनलाईन – जल ही जीवन है। यूं ही नहीं कहा जाता है। कभी एक दिन बगैर जल के रह कर देखिये समझ जाएगा। मौजूदा समय में देश तमाम तरह के संकट के साथ सूखे के एक बड़े संकट से जूझ रहा है। देश के कई शहरों में लोगों को दो-दो, तीन-तीन दिन पर पानी मिल रहा है तो कई शहरों में पानी की बूंद-बूंद को लोग तरस रहे है।  मानसून की आमद के बीच आए दिन पानी के लिए खून-खराबे की खबरें मिल रही है। पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर डे जीरो हो जाएंगे यानी इनके पास पीने के लिए खुद का पानी भी नहीं होगा। इसमें बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं

जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया

केंद्र सरकार ने इस गंभीर समस्या को देखते हुए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। हालांकि सवाल ये खड़ा हो रहा है कि जिस देश में पूरे साल पर्याप्त पानी होता था, वहां इतनी भयंकर समस्या क्यों खड़ी हो गई? दैनिक भास्कर ऐप प्लस ने इस मुद्दे को लेकर जल पुरुष कहे जाने वाले डॉ।राजेंद्र सिंह से बातचीत की। साथ ही रिपोर्ट्स को खंगालकर पता किया कि पानी बचाने के लिए अब कौन से कदम उठाना जरूरी हैं।

बेपानी कैसे हो रहा है?

डॉ। राजेंद्र सिंह ने बताया कि पुराने समय में पानी आने से पाल बांधा जाता था, लेकिन अब सरकारें पानी बहने के बाद पाल बांधने की बात करती हैं। इसी कारण भारत जैसा पानीदार देश आज बेपानी होता जा रहा है। देश को पानीदार बनाना है तो वर्षा ऋतु से पहले सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया तो नीति आयोग ने 21 शहरों में ही पानी न होने की बात कही है, ये आंकड़ा बढ़कर 90 तक पहुंच सकता है और देश का आधा भू-भाग बेपानी हो सकता है। सरकारों को समाज को साथ जोड़कर पानी बचाने की मुहिम चलाना होगी। डॉ। सिंह के मुताबिक, सोलहवीं सदी में भारत में त्रिकुंडीय व्यवस्था थी। पहले एक कुंड में पानी जाता था। दूसरे में थोड़ा निथर (साफ होकर) कर जाता था और तीसरे में एकदम साफ हो जाता था। ये पानी को स्वच्छ करने का एक प्राकृतिक तरीका था। अंग्रेजों ने भारत की इस गहरी समझ को खत्म करने का काम किया और फिर सरकारें भी उन्हीं की कदम पर चलीं।

50 फीसदी आबादी सूखे की चपेट में

पिछले लगातार दो मानसून के कमजोर होने से देश के करीब 33।3 करोड़ लोग पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। करीब 50% लोग सूखे जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। इस साल पश्चिमी और दक्षिण के राज्यों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है, क्योंकि वहां पानी कम गिर रहा है। नीति आयोग द्वारा जारी संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक के मुताबिक देश के 21 बड़े शहर (चेन्नई, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद) 2020 तक जीरो ग्राउंड वॉटर लेवल पर पहुंच जाएंगे। इसके चलते 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे।

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