हारते-हारते जीत गया चीन, मानवाधिकार परिषद में बची इज्जत

October 14, 2020

न्यूयॉर्क.ऑनलाइन टीम – संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सीट पाने के लिए रूस और क्यूबा का निर्विरोध चुनाव हुआ, जबकि चीन और सऊदी अरब के बीच हुई टक्कर में सउदी अरब हार गया। सबसे बड़ी बात चीन को लेकर हुई। इस चुनाव में चीन जीत भले ही गया, लेकिन एशिया-प्रशांत समूह की सीटों के चार विजेताओं में से चीन को सबसे कम वोट मिले हैं। सवाल उठाने वालों में 60 से अधिक देशों के 400 से अधिक सिविस सोसाइटी समूह शामिल थे। ह्यूमन राइट्स वॉच ने 26 जून को 50 विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें चीन में मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए निर्णायक उपाय करने की बात कही गई थी। हांगकांग और तिब्बत में लगातार जन अधिकारों का हो रहा उल्लंघन। रिपोर्ट में शिनजियांग के चीनी प्रांत में ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट, पत्रकारों, वकीलों और सरकार के आलोचकों पर हमले के बारे में जिक्र था।

बहरहाल, यूएन महासभा की 193 सदस्यीय समिति के गुप्त मतदान में पाकिस्तान को 169 मत मिले, उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को मात्र 90 मत मिले। एशिया-पैसिफिक को छोड़कर, 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद में निर्विरोध होने की वजह से 15 सदस्यों का चुनाव पहले से तय कर लिया गया था। आइवरी कोस्ट, मलावी, गैबॉन और सेनेगल ने अफ्रीका की चार सीटें जीतीं। रूस और यूक्रेन ने दो पूर्व यूरोपीय सीटों पर जीत दर्ज की। लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन समूह में मेक्सिको, क्यूबा और बोलीविया ने तीन सीटें जीतीं। ब्रिटेन और फ्रांस ने पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह की दो सीटें जीतीं।

जानें, क्या है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद : 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद की स्थापना की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जगह बनाया गया था। परिषद का मकसद था दुनिया में मानवाधिकारों को प्रोत्साहित करना और इस दिशा में काम करना। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में है। इसके सदस्य हर साल तीन बार, मार्च, जून और सितंबर में मिलते हैं। पिछले कुछ समय से परिषद विवादों में बना रहा है।