अजीबोगरीब स्थिति… ट्रंप ने आखिरी प्रेसिडेंशियल डिबेट में भारत को बताया जलवायु परिवर्तन का दोषी

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वाशिंगटन/ नई दिल्ली। ऑनलाइन – भारत के हितैषी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अंतिम प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रयासों को लेकर ही सवाल उठाए। ट्रंप ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत, चीन और रूस का रिकॉर्ड खराब रहा है।

ट्रंप ने कहा है कि भारत, रूस और चीन की आबोहवा खराब है।चीन को देखो कितना प्रदूषण है। रूस को देखो, भारत को देखो, यहां आबोहवा कितनी खराब है। अमेरिकी में सबसे अच्छी हवा, सबसे साफ पानी है। मैं पेरिस समझौते से बाहर इसलिए चला गया, क्योंकि हमें खरबों डॉलर निकालने थे। पेरिस समझौते की वजह से मैं लाखों नौकरियों और हजारों कंपनियों का बलिदान नहीं करूंगा … बहुत अनुचित है।” बता दें कि पिछले साल, अमेरिका ने औपचारिक रूप से पेरिस जलवायु समझौते से अपने हाथ खींच लिए थे और संयुक्त राष्ट्र को इसकी सूचना दी थी। जलवायु परिवर्तन की दिशा में पेरिस समझौता एक वैश्विक समझौता था, जिसे लागू कराने में ट्रम्प के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अहम रोल निभाया था। पेरिस जलवायु समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान को अच्छे प्रयासों से 2 डिग्री सेल्सियस तक कम करना था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की इस टिप्पणी पर भारत में सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्रंप के कई बयानों का जिक्र करते हुए केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ट्रंप ने भारत में कोरोना के कारण मौतों को लेकर सवाल उठाए। ट्रंप ने कहा कि हवा में भारत गंदगी भेज रहा है। ट्रंप ने भारत को टैरिफ किंग कहा। सिब्बल ने तंज करते हुए कहा कि यह ‘हाउडी मोदी’ का परिणाम है। वहीं दूसरी ओर शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा है कि ट्रंप की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में प्रयासों की याद दिलाई और कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भारत प्रतिबद्ध है। कई अमेरिकियों की इच्छा के विपरीत अमेरिका पीछे हटा।

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