क्या कोरोना के गरीब मरीजों को मरने के लिए छोड़ दें? 

विधायक लक्ष्मण जगताप ने स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से किया सवाल
पिंपरी। भाजपा की पिंपरी चिंचवड़ शहर इकाई के पूर्व अध्यक्ष एवं चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक लक्ष्मण जगताप पिछले साल से सरकार को लिख रहे हैं कि, गरीब कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे के सभी धर्मादाय अस्पतालों में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना लागू करें। हालांकि सरकारी स्तर पर गरीब कोरोना रोगियों के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार नहीं किया जा रहा है। इस पर जगताप ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को कठोर शब्दों में पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि, सरकार गरीब कोरोना रोगियों का इलाज नहीं करना चाहती हैं, या वे केवल उनसे वादे करके उन्हें मरने के लिए छोड़ना चाहती हैं।
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को लिखे पत्र में, विधायक लक्ष्मण जगताप ने कहा, “पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे दोनों में कोरोना का प्रकोप देखा जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में भर्ती गरीब कोरोना के मरीजों को आईसीयू, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड के साथ-साथ रेमिडिविर इंजेक्शन तक की कमी है। इस बीच, 21 मई, 2020 को राज्य सरकार ने सभी धर्मादाय और निजी अस्पतालों को कोरोना रोगियों के लिए 80 प्रतिशत बेड आरक्षित करने का आदेश दिया।  हालांकि, इन अस्पतालों में भर्ती होने वाले गरीब कोरोना के मरीज़ वहां इलाज नहीं करा सकते।  सभी जनप्रतिनिधियों से कई शिकायतें मिल रही हैं कि कैसे इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को आर्थिक रूप से लूटा जा रहा है। सरकार केवल ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई का वादा करती है। मगर कुछ नहीं हो रहा है। लूटे गए मरीजों के हाथ में कुछ भी नहीं है।  इसलिए ऐसे अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को तकलीफ होती है।
चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कई मरीज मर रहे हैं क्योंकि उन्हें इलाज नहीं मिल रहा है। बिगड़ते हालातों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार न ठहराया जाय तो किसे ठहराया जाय? इन सभी विकट परिस्थितियों में, पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे दोनों में सभी धर्मार्थ अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले जनारोग्य योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया है ताकि गरीब कोरोना रोगियों को भी उपचार मिल सके। इस योजना के तहत गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इसके लिए, वे खुद पिछले साल से राज्य सरकार के साथ संगत हैं। यदि महात्मा ज्योतिबा फुले जनरोग्य योजना को सभी धर्मार्थ अस्पतालों में लागू किया जाता है, तो सरकारी अस्पतालों पर तनाव के साथ-साथ निजी अस्पतालों में मरीजों की वित्तीय लूट को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। मगर, बार-बार मांग के बावजूद, यह बहुत अफसोस की बात है कि जिन गरीब मरीजों का कोरोना हुआ है, उनके साथ सरकारी स्तर पर सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
 
सरकार यह भी स्वीकार कर रही है कि कोरोना की दूसरी लहर भयावह है। ऐसे में अगर सरकारी स्तर पर गरीब मरीजों की बात नहीं मानी जा रही है, तो किसकी मानी जाए। क्या गरीब मरीज़ों को अच्छा इलाज मिलने से अपनी जान बचाने का अधिकार नहीं है ? क्या ऐसे मरीजों के साथ हमेशा लूटखसोट ही होनी चाहिए? क्या उन्हें हर दिन केवल वादों पर जीना होगा? यह सवाल उठाते हुए विधायक जगताप ने कहा है कि पिंपरी चिंचवड़ और पुणे दोनों शहरो में कोरोना रोगियों की संख्या पिछले दो महीनों में तेजी से बढ़ी है। इन रोगियों को सीटी स्कैन, एक्स-रे और साथ ही एचआरसीटी टेस्ट के लिए निजी प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है। वहां भी आम मरीजों को लूटा जा रहा है। विधायक लक्ष्मण जगताप ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से सीटी स्कैन, एक्स-रे और एचआरसीटी परीक्षणों के लिए दरों को ठीक करने के लिए आम लोगों को राहत देने के लिए कहा है।