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नई दिल्ली : गूगल ने शुक्रवार को हीमाटोलॉजिस्ट (रुधिर रोग विशेषज्ञ) लूसी विल्स की 131वीं जयंती पर डूडल समर्पित कर उन्हें याद किया। विल्स ने 1928 में मुंबई में गर्भवती महिलाओं में एनेमिया के संबंध में रिचर्स की जिससे आगे चलकर फोलिक एसिड की खोज हुई जो शिशुओं में जन्म दोष को रोकने में मदद करता है।

उन्होंने 1920 के दशक के अंत में और 1930 की दशक की शुरुआत में भारत में गर्भावस्था के दौरान मैक्रोसिटिक एनीमिया के संबंध में महत्वपूर्ण काम किया। उन्होंने मुंबई में वस्त्र उद्योग में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च किया जिससे यीस्ट में पाए जाने वाले एक पोषण संबंधी कारक की खोज हुई, जो इस विकार को रोकता है और साथ ही इसे ठीक भी करता है।

अर्क, जिसकी पहचान बाद में फोलिक एसिड के रूप में हुई उससे रिसर्च के दौरान बंदरों के स्वास्थ्य में सुझार हुआ, जिसे ‘विल्स फैक्टर’ नाम दिया गया। फॉलिक एसिड एक प्रकार का विटामिन-बी है जो प्राकृतिक रूप से गहरी हरी सब्जियों और खट्टे फलों में पाया जाता है।

सीएनईटी के मुताबिक, ब्रिटेन में 1888 में बर्मिंघम के पास जन्मी विल्स ने तीन स्कूलों में पढ़ाई की। पहला स्कूल चेल्टेनहम कॉलेज फॉर यंग लेडीज रहा। यह ब्रिटिश बोर्डिग स्कूल विज्ञान और गणित में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करता है। 1915 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वीमेन में दाखिला लिया 1920 में वह कानूनी रूप से योग्य मेडिकल प्रैक्टिशनर बन गईं व चिकित्सा और विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की।

रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए अमेरिकी केंद्र अब अनुशंसा करता है कि बच्चे पैदा करने वाली उम्र की सभी महिलाएं रोजाना 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लें। कई सालों तक यह ‘विल्स फैक्टर’ रहा, जब तक कि इसे 1941 में फोलिक एसिड नाम नहीं दिया गया। विल्स का निधन अप्रैल 1964 में हुआ था।

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