नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने चार सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया है, जो इन कानूनों को विस्तार से परखेगी। अदालत ने कहा, “कोई ताकत हमें समिति बनाने से नहीं रोक सकती। जो भी किसान नए कृषि कानूनों से पैदा होने वाली समस्याएं सुलझाना चाहते हैं, वे समिति के सामने उपस्थित हों और अपनी बात रखें। यह भी साफ कर दिया है कि समिति के सामने, संसद की कानून बनाने की विधायी क्षमता पर तर्क न रखें जाएं। समिति हमें जमीनी हकीकत के बारे में बताएगी और यह भी कि किसान क्या चाहते हैं। हम कानूनों की वैधता पर फैसला करेंगे।”

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने मंगलवार को कहा था कि हम यह नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमिटी के पास नहीं जाएंगे। हम समस्या का समाधान करना चाहते हैं।   यह कमिटी सबकी सुनेगा। जिसे भी इस मुद्दे का समाधान चाहिए वह कमिटी के पास जा सकता है। यह कोई आदेश नहीं जारी करेगा या आपको सजा नहीं देगा। यह केवल हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। उन्होंने कहा कि हम एक कमिटी का गठन करते हैं, ताकि हमारे पास एक साफ तस्वीर हो।
सुप्रीम कोर्ट की समिति में भूपिन्दर सिंह मान, (भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष), अनिल घनवत (शेतकारी संगठन के अध्यक्ष), डॉ. प्रमोद जोशी (दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री तथा कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष) शामिल हैं।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि कमिटी सरकार समेत सभी हितधारकों की बात सुनेगी। जब कुछ वकीलों ने कहा कि कमिटी का स्वरूप सबको स्वीकार्य होना चाहिए तो सीजेआई ने रुख साफ कर दिया। उन्होंने कहा, “एक अच्छी समिति कैसी हो, हम इसपर सबके विचार नहीं सुनेंगे। हम तय करेंगे कि उस समिति में कौन-कौन होगा जो हमें मुद्दे पर फैसले में मदद करेगी और हमने समिति में शामिल चेहरों को बता दिया है।

पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा, “कृषि कानून लागू होने से पहले की न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली अगले आदेश तक बनी रहेगी। इसके अलावा, किसानों की जमीन के मालिकाना हक की सुरक्षा होगी मतलब नए कानूनों के तहत की गई किसी भी कार्रवाई के परिणाम स्वरूप किसी भी किसान को जमीन से बेदखल या मालिकाना हक से वंचित नहीं किया जाएगा।” इस मामले में अब आठ सप्ताह बाद सुनवाई होगी। पहली बैठक मंगलवार से 10 दिन के भीतर (22 जनवरी) आयोजित की जाएगी। पीठ ने उम्मीद जताई कि प्रदर्शनकारी किसान धरना खत्म कर वापस लौट जाएंगे और कमिटी की रिपोर्ट और अदालत के फैसले का इंतजार करेंगे।

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