इंडियन रेलवे का ‘पर्यावरण के अनुकूल’ बड़ा कदम! 73 हजार ट्रेनों में लगे ढाई लाख से ज्यादा बायो टॉयलेट

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नई दिल्ली : ऑनलाइन टीम – भारतीय रेलवे ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने की प्रक्रिया चल रही है। अब तक देश भर में 73 हजार रेलवे कोचों में 2 लाख 58 हजार 906 बायो टॉयलेट लगाए जा चुके हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव यह है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए मानव मल का सीधे रेलवे पर निस्तारण किया जा सकता है।

रेल मंत्रालय ने ट्रेनों में बायो-टॉयलेट की सुविधा लगाने का अहम फैसला लिया है। इसके क्रियान्वयन में अब तक भारत में 73 हजार रेल गाड़ियों में ढाई लाख से ज्यादा बायो-टॉयलेट लगाए जा चुके हैं। नतीजतन रेलवे पर प्रतिदिन 2 लाख 74 हजार लीटर मानव मलमूत्र ट्रेनों से छोड़ा जा रहा है। मध्य रेलवे ने अपने सभी डिब्बों में बायो-टॉयलेट लगाने की पहल की है।

देश में रेलवे स्टेशन और रेलवे शौचालयों के सरल डिजाइन के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं। इसका कारण यह था कि मलमूत्र को सीधे रेलवे पर फेंका जाता था। जिससे क्षेत्र में तेज दुर्गंध भी आता था। इससे रेल यात्रियों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा था। भारतीय रेलवे ने कुछ साल पहले इन समस्याओं के विकल्प के तौर पर रेलवे के डिब्बों में बायो-टॉयलेट लगाने का फैसला किया था। प्रत्येक विभाग को अपने-अपने वाहनों में बायो-टॉयलेट स्थापित करने के लिए और अधिक प्रयास करने के निर्देश दिए गए। मध्य रेलवे ने अपनी सभी ट्रेनों के 5,000 डिब्बों में बायो-टॉयलेट लगाए हैं।

ये बायो-टॉयलेट भारतीय रेलवे में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसमें रेलवे की गाड़ियों में शौचालय के तल में एक बड़ा डिज़ाइन टैंक होता है। उस टैंक में बैक्टीरिया पैदा होते हैं और मानव अपशिष्ट उनके माध्यम से पानी में बदल जाता है। इसे क्लोरीन से भी उपचारित किया जाता है। इस तरह रेलवे पर प्रदूषण मुक्त पानी ही छोड़ा जाता है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है और मानव स्वास्थ्य पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। नवनिर्मित रेल डिब्बों में अब बायो-टॉयलेट लगाए जा रहे हैं। इसलिए, निकट भविष्य में, देश में सभी ट्रेनों में बायो-टॉयलेट दिखाई देंगे, रेल विभाग ने जानकारी दी है।

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